NEW DELHI : एम्स-आईआईटी ने मिलकर बनाया ऐसा उपकरण, जिसकी मदद से आवाज खो चुके लोग फिर बोल उठेंगे अब तक 20 लोगों में लगाया, सभी बोल पा रहे हैं – दिल्ली के एम्स और आईआईटी ने मिलकर एक ऐसा उपकरण बनाया है, जिससे वोकल कॉर्ड निकाले जाने के बाद भी लोगों की आबाज लौट सकेगी। प्लास्टिक से बने इस देसी बॉल्व की मदद से लोग बोल सकेंगे। इसे बनाने में बेहद कम खर्च आया है और ये मामूली कीमत पर उपलब्ध होगा।
दरअसल एम्स और आईआईटी दिल्ली ने ट्रिओ एसोफैगल स्पीच प्रोस्थेटिक यानी वॉल्च बनाया है, जिसकी मदद से वोकल कॉडर के बिना ही मरीज बोल पाने में सक्षम हो जाते हैं। एम्स में ईंएनटी विभाग के डॉक्टर आलोक ठकक्र ने कहा, उन्नत लैरिंग रंग कैंसर वाले मरीज या हाइपोफेरीन्जियल कैंसर के लिए आवश्यक रूप से ऑपरेशन करना पड़ता है जिसमें वॉइस बॉक्स या स्वस्यंत्र को निकालना पड़ता है। ऐसे मरीज ऑपरेशन के बाद बोल नहीं पाते हैं। अब तक ऐसी स्थिति में यूरोप में बने एक खास वॉल्ब का इस्तेमाल करते थे जिसकी कीमत 40 से 45 हजार के बीच होता है। यह काफी महंगा पड़ता है और इसे हर छह महीने में बदलना भी पड़ता है। लेकिन स्वदेश में बने इस इंप्लांट की कीमत मात्र दो से ढाई हजार के बीच होगी
डॉक्टर ठक्कर ने कहा कि पहले फेज के ट्रायल में हमने इस इंप्लांट का लैब टेस्ट किया। हमारे 2 तरह के डिवाइस में से एक दुनिया के 10 बेस्ट प्रोडक्ट में एक था। हमने जब पहली बार मरीज में लगाया तो मरीज इसे टॉल रेट नहीं कर पा रहा था। फिर हमने इसके डिजाइन में बदलाव किया, जिसका वर्जन-2 इस्तेमाल किया जा रहा है। अब तक 20 मरीजों में लगाया जा चुका है। सभी मरीज बोल पा रहे हैं और किसीको परेशानी नहीं हो रही है।
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