New Delhi: ये कहानी है, बहादुरगढ़ के जाखौदा मोड़ बाईपास पर स्थित देशी ढाणी होटल में वेटर का काम करने वाला हिमांशु की, जो अब उत्तर प्रदेश में नायब तहसीलदार बन गए हैं। वेटर से नायब तहसीलदार के इस सफर में हिमांशु ने खाना परोसने के साथ टेबल साफ करने, बर्तन धोने और झाडू पोछा लगाने का भी काम किया। हिमांशु की कहानी ऐसे लोगों को हर हाल में संघर्ष कर आगे बढ़ना और अपनी मंजिल को पा लेना सिखाती है।
हिमांशु के जीवन में कई बार वो समय भी आया जब उन्हें प्याज-रोटी खाकर ही भूख मिटानी पड़ी। लेकिन ऐसे हालत में भी उन्होंने कभी हार नही मानी। हिमांशु का कहना है कि वो दिन में काम करते थे और और रात में अपनी पढ़ाई। होटल स्टाफ और मालिक भी उनकी पढ़ाई में और घर चलाने में आर्थिक मदद करते थे। हिमांशु जैसे लोग उन सभी के लिए एक प्रेरणा हैं जिनके सपने तो बड़े हैं लेकिन वे अपने हालातों से डर जाते हैं। वो लड़का जो कुछ समय पहले तक अपने हालातों से मजबूर अपनी आजीविका के लिए होटल में वेटर का काम करता था वो अब नायब तहसीलदार बन गया है।
हिमांशु के पिता रेलवे में कर्मचारी थे। उनके रहते हुए घर के हालत ठीक थे लेकिन कुछ समय पहले उनका निधन हो गया। हिमांशु के दो छोटे भाई भी हैं। जो फिलहाल पढ़ाई कर रहे हैं। परिवार को संभालने के लिए हिमांशु ने पढ़ाई के बाद काम शुरू करते हुए पहले बैंक के ग्राहक सेवा केन्द्र में काम किया। उसके बाद उन्होंने देशी ढाणी होटल में वेटर का काम शुरू कर दिया। हिमांशु ने अपने घर में किसी को ये नहीं बताया कि वो वेटर का काम करते हैं।
वेटर से नायब तहसीलदार के इस सफर में कई बाधाएं आईं। कई बार उनकी हिम्मत भी जवाब देने लगी। लेकिन हर बार उन्होंने खुद को संभाला और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखा। उनकी इसी इच्छाशक्ति और मेहनत का ये फल मिला कि वह यूपी पीसीएस की परीक्षा पास कर गए। अब हिमांशु की सफलता से देशी ढाणी होटल का स्टाफ और परिवार बेहद खुश है। नायब तहसीलदार के पद पर चयनित होने के बाद उन्होंने उनका जोरदार स्वागत किया।