New Delhi: चंद्रयान 3 को जो बाहुबली रॉकेट लेकर जाएगा वह भारत का खुद का बनाया हुआ सबसे ताकतवर लांचर रॉकेट है। ये अब तक का सबसे शक्तिशाली लॉन्चर है। इसका वजन 642 टन है यानि 130 हाथियों को एक साथ खड़ा कर दें तो उनके भार के बराबर। ऊंचाई कुतुबमीनार से कहीं ज्यादा। करीब 43.5 मीटर यानि 15 मंजिला मकान के बराबर। इससे इसरो अपने कई अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुका है।
रॉकेट की खासियतों को आप इन बिंदुओं के जरिए समझ सकते हैं-
-ये 4 टन वजनी सेटेलाइट को ले आसमान में ले जाने में सक्षम है। लो अर्थ ऑर्बिट में ये 10 टन वजनी सेटेलाइट ले जा सकता है।
-ये चंद्रायन मिशन-2 को भी सफलतापूर्वक मून ऑर्बिट में स्थापित कर चुका है।
-इसमें सबसे शक्तिशाली क्रायोजेनिक इंजन C25 लगा है जिसे CE-20 पावर देगा।
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— Syed Aamir Rizvi 🇮🇳 (@a_amir4U) July 13, 2023
-ये अब तक का सबसे शक्तिशाली लॉन्चर है। जिसे पूरी तरह से देश में बनाया गया है।
-ये अब तक का सबसे भारीभरकम लॉन्चर है। इसका वजन 642 टन है।
-ये अब तक का सबसे ऊंचाई वाला लॉन्चर है। इसकी ऊंचाई 15 स्टोरी बिल्डिंग के बराबर है। इसकी ऊंचाई 43।3 मीटर है। यानि कुतुबमीनार से भी करीब 70 मीटर और ज्यादा।
-इसमें S200 रॉकेट बूस्टर लगे हैं जो रॉकेट को इतनी शक्ति देगा कि वो आसमान में छलांग लगा सके। S200 को विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में बनाया गया है।
-GSLV Mk 3 के अलग-अलग मॉडल का अब तक तीन बार सफल प्रक्षेपण हो चुका है।
इस रॉकेट से जब इसरो को भारी संचार उपग्रहों को लांच करता है तो ये उनकी सफलता की गारंटी देता है। ये महज 974 सेकंड में 180×36000 किमी की यात्रा कर लेता है। इस रॉकेट को इसरो ने पहली बार वर्ष 2014 में टेस्ट करते हुए अंतरिक्ष में भेजा था। इसके साथ इसरो ने अपने अंतरिक्ष अभियानों के नए युग में छलांग लगा दी। बाद में इस रॉकेट में कई तरह के और बदलाव किए गए। इसे करीब 155 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था।