New Delhi: सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है। इस बीच हर-हर महादेव का नारा पूरे देश में गूंज उठा है। सावन के महीने में इस मंदिर में हर मुराद पूरी होती है। यहां दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर करीब 450 वर्ष पुराना है। यहां पर सबसे पहले पंचमुखी शिवलिंग हुआ करता था। धीरे-धीरे यहां पर श्रद्धालुओं की भक्ति शिव भगवान के प्रति बढ़ती गई। इस मंदिर में मांग गई हर मुराद पूरी होती है।
धीरे-धीरे यहां पर श्रद्धालुओं की भक्ति शिव भगवान के प्रति बढ़ती गई, जिसके बाद इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति व बगलामुखी जी की मूर्ति और नवग्रह की मूर्ति स्थापित की गई। झारखंड महादेव मंदिर में हिंदुओं की आस्था से जुड़े जितने भी वृक्ष हैं। वह सभी वृक्ष यहां पर लगे हुए हैं। जहां पर सभी श्रद्धालुओं के द्वारा इन वृक्षों की पूजा- अर्चना की जाती है।
मंदिर में आए श्रद्धालु मोहित ने बताया कि- मुझे इस झारखंड महादेव मंदिर में आते हुए करीब 20 वर्ष हो चुके हैं। मैं हर रोज यहां पर शिव भगवान की पूजा अर्चना करने आता हूं। मैंने भोले बाबा से जो भी मन्नत मांगी वह पूरी जरूर हुई है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां पर जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर मन्नत मांगते हैं। शिव भक्तों की वह मन्नत अवश्य पूर्ण होती है।
मुजफ्फरनगर में वैसे तो तमाम मंदिर है जो अपनी-अपनी विशेषताओं को लेकर काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर झारखंड महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस शिव के मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।
मंदिर के प्रबंधक तरुण का कहना है कि मराठों के द्वारा जब सेना को लेकर पंजाब जाया जा रहा था तब मराठों के द्वारा मुजफ्फरनगर के खतौली में रुक कर विश्राम किया गया था। तभी मराठों के द्वारा यह पंचमुखी शिवलिंग स्थापित किया गया था। शिवलिंग स्थापित करने के बाद लगातार मराठों ने इस पंचमुखी शिवलिंग की पूजा की थी। तभी से यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है।