New Delhi : नवरात्रि (नवरात्रि 2020) के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है। इस दौरान, लोग देवी के नौ रूपों की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह नवरात्रि शरद ऋतु में आश्विन शुक्ल पक्ष से शुरू होती है और पूरे नौ दिनों तक चलती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार हर साल सितंबर-अक्टूबर के महीने में पड़ता है। इस बार शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू होकर 25 अक्टूबर तक है। विजयदशमी या दशहरा 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा। नवरात्रि से जुड़े कई रीति-रिवाजों के साथ कलश स्थापना का विशेष महत्व है। कलश स्थापन को घाट स्थापना के रूप में भी जाना जाता है। नवरात्रि की शुरुआत घाट की स्थापना से होती है। घाट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है।
🍁सूचना-"नवरात्र"
🌷आगामी १७अक्टूबर से "माँ भगवती" के पावन नवरात्र आरंभ होंगे।
🌷चन्द्रमौलि संस्था द्वारा "माँ जगदंबे" के श्री दुर्गा सप्तशती पाठ,संपुटित पाठ,नवार्ण मंत्र जाप आदि का आयोजन करवाया जायेगा। pic.twitter.com/4Bm1oYQcZE
— Chandramauli (@chandramauli01) October 9, 2020
रांची: 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू pic.twitter.com/jEIF4y2sWO
— Zee Bihar Jharkhand (@ZeeBiharNews) October 15, 2020
🙏🌺 माता रानी के नवरात्र शुरू होने वाले है तो आज आप सबको 51 शक्ति पीठ की तमाम माता के दरबार के दशॅन करवाते है तो सब मिलकर प्रेम से बोलो जय माता दी 🙏🌺 #नवरात्रि #नवरात्री #Navratri2020 #Navaratri pic.twitter.com/D9Wz51cBy5
— HINDU MANDIR LIVE (@HinduMandirLive) October 15, 2020
प्रतिपदा के एक तिहाई बीत जाने के बाद घाट स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त है। यदि किसी कारण से आप उस समय कलश स्थापित नहीं कर पा रहे हैं, तो आप इसे अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं। प्रत्येक दिन के आठवें मुहूर्त को अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है। यह 40 मिनट लंबा है। हालाँकि, इस बार अभिजीत मुहूर्त घाट स्थापना के लिए उपलब्ध नहीं है।
कलश स्थापना तिथि और शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना तिथि : 17 अक्टूबर 2020
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त : 17 अक्टूबर 2020 को सुबह 06.23 से 10:30 बजे तक।
कुल अवधि : 03 घंटे 49 मिनट
कलश कैसे स्थापित करें : नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा की सुबह स्नान करें।
मंदिर की सफाई करने के बाद, पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम पर अखंड ज्योत जलाएं और कलश स्थापना के लिए मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं। अब एक तांबे के बर्तन पर रोल के साथ एक स्वस्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी भाग में मौली बांधें। अब इस लोटे में पानी भरें और इसमें कुछ बूंदें गंगा जल की डालें। फिर उसमें डेढ़ रुपए, कोच, सुपारी, इत्र और अक्षत रखें। इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं।
अब एक नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर मौली से बांध दें। फिर कलश के ऊपर नारियल रखें। अब इस कलश को मिट्टी के पात्र के बीच में रखें जिसमें आपने जौ बोया है। कलश स्थापन के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रत रखने का संकल्प लिया जाता है। आप चाहें तो कलश स्थप के साथ माता के नाम पर अखंड ज्योति जला सकते हैं।