लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह : जिन्होंने भारत के लिये जीते तीन युद्ध, राष्ट्र के लिये सबकुछ न्यौछावर किया

New Delhi : आज हम आपको ऐसे फौजी के बारे में बता रहे हैं जिनके नाम से पाकिस्तान आज तक कांपता होगा। लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह को भारत का सबसे निर्भीक जनरल माना जाता है। जनरल सगत एकमात्र सैन्य अधिकारी है जिन्होंने तीन युद्ध में जीत हासिल की। उनके नेतृत्व में गोवा को पुतर्गाल से मुक्त कराया गया। वहीं वर्ष 1967 में चीनी सेना की भी घेराबंदी की। इसके बाद वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों को दरकिनार कर जनरल सगत ढाका पर जा चढ़े। इसकी बदौलत पाकिस्तानी सेना को हथियार डालने को मजबूर होना पड़ा। हालांकि, यह जनरल हमेशा उपेक्षा का शिकार हुआ।

यही कारण है कि उन्हें कभी किसी तरह का वीरता सम्मान नहीं मिला। हालांकि भारतीय सेना ने उनकी जन्म शताब्दी जरूर मनाया। गोवा को पुर्तगाल के कब्जे से मुक्त कराने के लिए भारतीय सेना के तीनों अंग थल, वायु और नौ सेना ने मिलकर संयुक्त ऑपरेशन चलाया। उनकी जीवनी में मेजर जनरल वीके सिंह के अनुसार गोवा मुक्ति के लिए दिसम्बर 1961 में भारतीय सेना के ऑपरेशन विजय में 50 पैरा को सहयोगी की भूमिका में चुना गया। लेकिन उन्होंने इससे कहीं आगे बढ़ इतनी तेजी से गोवा को मुक्त कराया कि सभी दंग रह गए।18 दिसम्बर को 50 पैरा को गोवा में उतारा गया।
19 दिसम्बर को उनकी बटालियन गोवा के निकट पहुंच गई। पणजी के बाहर पूरी रात डेरा जमा रखने के बाद उनके जवानों ने तैरकर नदी को पार कर शहर में प्रवेश किया। उन्होंने ही पुर्तगालियों को आत्मसमर्पण करने को मजबूर किया। पुर्तगाल के सैनिकों सहित 3306 लोगों ने आत्मसमर्पण किया। इसके साथ ही गोवा पर 451 साल से चला आ रहा पुर्तगाल का शासन समाप्त हुआ और गोवा भारत का हिस्सा बन गया।
गोवा से वापस आगरा आने पर सगत सिंह के साथ एक दिन घटना घटी। सिविल ड्रेस में सगत सिंह होटल में खाना खाने गए। जनरल वीके सिंह ने उनकी जीवनी में लिखा है कि होटल में कुछ विदेशी पर्यटक लगातार सगत सिंह की तरफ देख रहे थे। थोड़ी देर बाद एक पर्यटक उनके निकट आया और स्वयं को अमरीका का बताते हुए पूछा क्या आप ब्रिगेडियर सगत सिंह है? उन्होंने हां में जवाब दे कारण पूछा। इस पर पर्यटक ने बताया कि वे पुर्तगाल से आ रहे हैं। वहां कई जगह हमने आपकी फोटो लगे पोस्टर देखे। उनके नीचे लिखा था कि आपको पकड़ कर लाने वाले को दस हजार डॉलर इनाम दिया जाएगा।
सगत सिंह ने मुस्करा कर कहां ओह, तो फिर मैं आपके साथ पुर्तगाल चलता हूं। आपको इनाम मिल जाएगा। इस पर पर्यटक ने मजाकिया लहजे में कहा कि हम पुर्तगाल न जाकर सीधे अमरीका जा रहे हैं। और कभी चलेंगे पुर्तगाल। जनरल सगत चीन सीमा पर नाथु ला में तैनात थे। नाथुला में भारत व चीन के सैनिकों के बीच हमेशा आपस में धक्कामुक्की चलती रहती थी। इसको बंद करने के लिए जनरल सगत के आदेश पर नाथु ला सेक्टर में 11 सितम्बर 1967 को तारबंदी लगाना शुरू कर दिया।
चीनी सेना ने बगैर किसी चेतावनी के गोली चलाना शुरू कर दिया। भारतीय सैनिक खुले में खड़े थे। ऐसे में बड़ी संख्या में सैनिकों का नुकसान हुआ। इसके बाद जनरल सगत ने नीचे से तोपों को ऊपर मंगाया। उस समय तोप से गोलाबारी करने का आदेश सिर्फ प्रधानमंत्री ही दे सकता था। दिल्ली से कोई आदेश मिलता नहीं देख जनरल सगत ने तोपों के मुंह खोलने का आदेश दे दिया।

देखते ही देखते चीन को तीन सौ सैनिकों का नुकसान हुआ। इसके बाद चीनी सेना पीछे हट गई। इसे लेकर काफी हंगामा मचा। लेकिन चीनी सेना पर इस जीत ने भारतीय सैनिकों के मन में वर्ष 1962 से समाये भय को बाहर निकाला। इसके बाद जनरल सगत का वहां से तबादला कर दिया गया।

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