New Delhi : आज के जमाने कोई एक बार प्रधान भी बन जाए तो उसके ठाठ बाट देखने लायक होते हैं। MLA बनकर तो इंसान खुद को राजा समझने लगता है। ऐसे नेताओं को केवल सिंह से सीखना चाहिए। हिमाचल प्रदेश के केवल सिंह 2 बार विधायक और एक बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं लेकिन आज भी अपनी पत्नी के साथ छोटे से घर में रहते हैं। सन 1937 में जन्मे केवल सिंह पठानिया 2 बार विधायक तथा एक बार कैबिनेट मंत्री रहने के बावजूद पुश्तैनी स्लेटपोश घर में रहते हैं और खेतीबाड़ी करते हैं। आज भी उनकी पत्नी शकुंतला देवी के साथ उन्हें हल्दी की फसल साफ करते हुए देखा जा सकता है।
82 साल के हो चुके केवल सिंह पठानिया आज भी सुबह 6 बजे उठते हैं। रोज 10 किलोमीटर पैदल चलते हैं और खेतीबाड़ी कर 9 बजे तक तैयार होकर किसी पंचायत में निकल जाते हैं तथा लोगों के बीच समय बिताते हैं। केवल सिंह कहते हैं कि लोगों के बीच रहना ज्यादा सुकून देता है। केवल सिंह पठानिया कांग्रेसी परिवार से होने के बावजूद निर्दलीय या अन्य दलों से चुनाव लड़े। सन 1968 में केवल सिंह पठानिया पहली बार ब्लॉक समिति के अध्यक्ष चुने गए। 1972 में उन्होंने पहला विधानसभा का चुनाव बतौर इंडिपेंडेंट कैंडिटेट लड़ा, जिसमें उन्होंने सत महाजन को पहली बार हराया।
सत महाजन को हराने के बाद भी उनको कांग्रेस ने पार्टी में शामिल नहीं किया क्योंकि सत महाजन की ताजपोशी प्रदेशाध्यक्ष की हो चुकी थी। उसके बाद 1977 में जनता पार्टी और 1982 में आजाद प्रत्याशी के तौर पर वह सत महाजन से चुनाव हार गए। 1985 में तो वीरभद्र के कहने पर पठानिया चुनाव नहीं लड़े लेकिन जब 1989 में भी वीरभद्र का दबाव पठानिया पर चुनाव न लडऩे का बढ़़ा तो पठानिया ने एक बार फिर कांग्रेस छोड़ कर जनता दल के झंडे तले चुनाव लड़ा और सत महाजन को हराया।
उसके बाद 1993 में जनता दल का विलय कांग्रेस पार्टी में हुआ तो पठानिया ज्वालामुखी से चुनाव जीते तथा कांग्रेस सरकार में परिवहन मंत्री बने। 1998 में ज्वालामुखी से केवल सिंह को हार का मुंह देखना पड़ा।