New Delhi : रामविलास पासवान को लेकर सोसाइटी में एक बड़ी युक्ति थी। और यह युक्ति थी कि वे पॉलिटिक्स के मौसम विज्ञानी हैं। वे जिसके साथ जाते हैं, उनकी सरकार बन जाती है। पिछले तीन दशक में शायद ही कोई प्रधानमंत्री हो जिसकी कैबिनेट में वे नहीं दिखे। जहां वे अटल बिहारी वाजपेयी के कैबिनेट में थे तो यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार में भी बेहद महत्वपूर्ण महकमा संभाला। और फिर जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो वे कैबिनेट का चेहरा थे। पॉलिटकल सर्किल में तो कहा ये भी जाता था कि मौसम विज्ञानी भी कभी-कभी गलती कर बैठते हैं लेकिन रामविलास पासवान से ऐसी गलती बिलकुल नहीं होती।
पापा….अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।
Miss you Papa… pic.twitter.com/Qc9wF6Jl6Z— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 8, 2020
I am saddened beyond words. There is a void in our nation that will perhaps never be filled. Shri Ram Vilas Paswan Ji’s demise is a personal loss. I have lost a friend, valued colleague and someone who was extremely passionate to ensure every poor person leads a life of dignity. pic.twitter.com/2UUuPBjBrj
— Narendra Modi (@narendramodi) October 8, 2020
In the demise of Union Minister Ram Vilas Paswan, the nation has lost a visionary leader. He was among the most active and longest-serving members of parliament. He was the voice of the oppressed, and championed the cause of the marginalized.
— President of India (@rashtrapatibhvn) October 8, 2020
और आश्चर्यजनक यह भी कि चाहे वे किसी के साथ हों, चुनाव में रिकार्ड मतों से जीतने का उनका रिकार्ड बनना तय ही था। चाहे वो जनता दल में रहे हों या फिर लोजपा में। चाहे वो कांग्रेस गठबंधन में रहे हों या फिर राजग गठबंधन में। वे अधिकांश समय केंद्र में ही मंत्री रहे और सांसद रहे। पर, इस दौरान भी उनका मन बिहार में ही रमा रहता था। वे बिहार से अलग कुछ भी सोच ही नहीं पाते थे। केंद्र में मंत्री बनने के बाद बिहार ने उनके दिल पर राज किया। योजना कोई भी हो, बिहार के ही हिस्से में आती थी।
हालांकि इन सबके बीच में बिहार का नेतृत्व करने, बिहार का सीएम बनने की इच्छा उनकी कभी पूरी नहीं हो सकी। लालू के शासनकाल में लालू प्रसाद के साथ भी रहे और विरोध में भी लेकिन इस दौरान किसी को मौका ही नहीं मिला। और उसके बाद नीतीश कुमार का राज आ गया जो अब तक बरकरार है। उन्होंने सबसे अलग होकर अपनी पार्टी भी बनाई लेकिन उनकी पार्टी बिहार में कभी इस हैसियत में नहीं रही कि बिहार के राजकाज का नेतृत्व कर सके। उनको हमेशा केंद्र में मंत्रीपद से ही संतोष करना पड़ा।
Chirag, shocked to hear about the demise of your father !
Ram Vilas Paswan ji was a champion of the downtrodden and had immense faith in India’s pluralism & diversity.
It’s a big loss for the nation. My condolences to you, your family and all his supporters https://t.co/8Nj9h5YxhY
— Ahmed Patel (@ahmedpatel) October 8, 2020
Shocked to hear the sad news of death of Union Minister Sh Ram Vilas Paswan. He was deeply committed to the upliftment of the downtrodden. His demise has left a vaccum which will be difficult to fill. My heartfelt condolences to his family. May the departed soul rest in peace. pic.twitter.com/xrSjKGeBh6
— Ghulam Nabi Azad (@ghulamnazad) October 8, 2020
I am extremely saddened to learn about the demise of political stalwart Shri Ram Vilas Paswan ji. His contribution towards the upliftment of the downtrodden will always be remembered.
May his soul find eternal peace.
My condolences to his family and followers.
Om Shanti pic.twitter.com/MaCZYhZNvT— Sachin Pilot (@SachinPilot) October 8, 2020
रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर 1969 में तब शुरू हुआ था, जब वे सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे। खगड़िया में एक दलित परिवार में 5 जुलाई 1946 को जन्मे रामविलास पासवान ने इमरजेंसी का पूरा दौर जेल में गुजारा। 1977 की रिकॉर्ड जीत के बाद रामविलास पासवान फिर से 1980 और 1989 के लोकसभा चुनावों में जीते। इसके बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में उन्हें पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इसके बाद विभिन्न सरकारों में पासवान ने रेल से लेकर दूरसंचार और कोयला मंत्रालय तक की जिम्मेदारी संभाली।