New Delhi : कोरोना महामारी के कारण देशभर के स्कूल पिछले 7 महीनों से बंद हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान उन छात्रों का हो रहा है जो सरकारी स्कूल से हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। इसके पीछे कारण यही है कि उनके पास ऑनलाइन क्लास लेने के लिए न तो स्मार्ट फोन हैं और न ही बेहतर इंटरनेट सुविधा। ऐसे में इस समस्या को गंभीर मानते हुए छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के एक प्राथमिक शिक्षक ने अनोखा और सराहनीय काम किया है। महामारी के कारण जब बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं तो वो अपनी बाईक के जरीए स्कूल को ही बच्चों तक लेकर पहुंचे।
Chhattisgarh teacher, Rudra Rana, runs school on his motorcycle. He teaches students in rural areas who couldn't join online classes. pic.twitter.com/prq9T8UwrQ
— The Indian Express (@IndianExpress) September 17, 2020
Chhattisgarh: A teacher in Korea conducts 'mohalla' classes for school students on his motorcycle.
"As students can't go to schools, I'm bringing education to their doorstep. Many students don't have access to online education, so this is helpful," says Rudra Rana, the teacher. pic.twitter.com/N32f6OlzCN
— ANI (@ANI) September 17, 2020
उन्होंने अपनी बाईक को एक छोटे से स्कूल के रूप में तैयार किया और अपने गांव टोला के बच्चों को उनके गांव जाकर ही पढ़ाना शुरू कर दिया। उनकी इस पहल की सराहना लोग सोशल मीडिया के जरीए कर रहे हैं। आईए जानते हैं इस शिक्षक के बारे में।
इस शिक्षक का नाम हैं रूद्र राणा। ये पहले अपनी बाईक का इस्तेमाल अपने घर से स्कूल जाने के लिए करत थे लेकिन अब वो अपनी बाईक के जरीए स्कूल को ही बच्चों के घरों तक ले जाने का काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में एक जिला है कोरिया इस जिले के छिदरी गांव के प्राथमिक विद्यालय में वो शिक्षक हैं। जब महामारी के कारण स्कूल बंद हुए तो उन्होंने अपनी बाईक में छतरी फिट करवाई, एक छोटा बॉर्ड लगाया, बाइक की डिग्गी में जरूरत की किताबें रखीं और अपनी बाईक पर ही स्कूल को लेकर बच्चों को पढ़ाने के लिए निकल पड़े। वो पिछले दो महीनों से इसी तरह दो से तीन गांव मेें बच्चों को पढ़ा रहे हैं। बच्चों को पढ़ाने के दौरान वो सभी सुरक्षा नियमों का भी ध्यान रखते हैं और बच्चों को दूर-दूर बैठाते हैं। सभी बच्चों तक आवाज पहुंचे इसके लिए उन्होंने अपनी बाईक में ही साउंड सिस्टम भी फिट करवाया है और माईक पर बोलते हुए वो बच्चों को पढ़ाते हैं।
रूद्र जब पढ़ाने के लिए गांव पहुंचते हैं तो अपनी बाईक में रखी घंटी को बजाकर बच्चों को बुलाते हैं। उन्होंने अपनी कक्षाओं को मौहल्ला क्लास का नाम दिया है। इसके बारे में वो कहते हैं “बहुत कम छात्र ही ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो पाते थे, इसलिए हमने मोहल्ला कक्षाएं शुरू कीं। इसलिए मैंने इस तरीके के बारे में सोचा। यह भी शिक्षकों और छात्रों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है क्योंकि सभी दो गज की दूरी का पालन करते हैं। जब छात्र स्कूलों में नहीं जा सकते हैं, इसलिए मैं उनके दरवाजे पर शिक्षा ला रहा हूं। कोरोनावायरस के प्रकोप के मद्देनजर, छत्तीसगढ़ सरकार ने पहले एक ऑनलाइन पोर्टल, पढ़ाई तुहर दूआर ’शुरू किया था, जिसने लॉकडाउन के बीच अपने घरों पर रहने वाले छात्रों को शिक्षा प्रदान की। जिसका उद्देश्य अपने इलाकों और गांवों में समुदाय की मदद से बच्चों को पढ़ाना है।
Rudra Rana, a govt school teacher, brings school at the doorstep in Chhattisgarh's Korea District through 'Mohalla Classes' pic.twitter.com/bdpCbYhdeP
— CNBC-TV18 (@CNBCTV18News) September 20, 2020
कोरोना वायरस के आगे हार ना मानने वाले शिक्षक की कहानी जो अपनी बाइक पर लेकर चलते हैं पूरा स्कूल…. pic.twitter.com/nnH7bh5KfE
— BBC News Hindi (@BBCHindi) September 17, 2020
इससे पहले, एक सरकारी स्कूल के शिक्षक अशोक लोधी ने कार्टून और संगीत के माध्यम से बच्चों को शिक्षित करने के लिए एलईडी टीवी के साथ अपनी बाइक पर यात्रा करके छात्रों को शिक्षित करने के अपने प्रयासों से बहुतों को प्रसन्न किया। उन्होंने अपनी अनूठी पहल से लोगों के दिल जीते इससे उन्हें कोरिया जिले के स्थानीय निवासियों द्वारा ‘सिनेमा वाले बाबू’ का उपनाम दिया गया था।