New Delhi : माना जाता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के चौदह वर्षो में ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे। इसके अलावा ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनसुइया के घर जन्म लिया था। मंदाकिनी नदी के किनारे पर बसा भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में एक है। मंदाकिनी नदी के किनार बने अनेक घाट और मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। माना जाता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के चौदह वर्षो में ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे। इसी स्थान पर ऋषि अत्रि और सती अनसुइया ने ध्यान लगाया था। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनसुइया के घर जन्म लिया था।
आप सभी को रामनवमी की शुभकामनाऐं,राम चित्रकूट पहुंच गये बहुत सुंदर जगह,यह वह धनुषकोटि या कहे कामदगिरी पर्वत है जहां राम ने कुटिया बनाई,कामदानाथ के नाम से जाने जाते है रघुराई आपको मौका मिले जरूर जाईये बुदेंलखंण आज भी पग पग पर लगता है राम मौजूद है यहां 🙏🌷🙏राधे राधे🙏🌷🙏 pic.twitter.com/bKgg8TXpOs
— Uma gemini (@gemini_uma) April 2, 2020
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स्फटिक शिला जो की चित्रकूट में मन्दाकिनी नदी के किनारे स्थित है राम सीता और पृकृति के महात्म को समझा रहे हैं कामदगिरि पीठ के महंत श्री मदन गोपाल दास जी
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आज माँ नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में रामघाट पर महाआरती की। pic.twitter.com/co8q5txR39
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 10, 2016
उज्जैन जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए रामघाट पर अच्छी व्यवस्था की हैं. #jansamparkMP pic.twitter.com/m0AWYDHuLd
— Jansampark MP (@JansamparkMP) January 14, 2019
कभी डूबते सूरज की किरणों से नहाने वाला रामघाट मंदिर शिलान्यास की शाम दीपों की रोशनी से नहाया। चित्रकूट के रामघाट में जले 21000 दीपक। @ChitrakootDm @AnkitMittal789 @dmayodhya @GauravAgrawaal @Anjalitv9 @manishtv9 @Satyaprakashckt @TV9Bharatvarsh @NandiGuptaBJP @AnandShuklaMLA pic.twitter.com/f4Yo3KtI3S
— Ziaul Haque TV9 भारतवर्ष (@ZiaulHaqTv9) August 7, 2020
कामदगिरि: इस पवित्र पर्वत का काफी धार्मिक महत्व है। श्रद्धालु कामदगिरि पर्वत की 5 किमी. की परिक्रमा कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करते हैं। जंगलों से घिरे इस पर्वत के तल पर अनेक मंदिर बने हुए हैं। चित्रकूट के लोकप्रिय कामतानाथ और भरत मिलाप मंदिर भी यहीं स्थित है।
रामघाट : मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट में अनेक धार्मिक क्रियाकलाप चलते रहते हैं। घाट में गेरूआ वस्त्र धारण किए साधु-सन्तों को भजन और कीर्तन करते देख बहुत अच्छा महसूस होता है। शाम को होने वाली यहां की आरती मन को काफी सुकून पहुंचाती है।
जानकी कुण्ड : रामघाट से 2 किमी. की दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार जानकी कुण्ड स्थित है। जनक पुत्री होने के कारण सीता को जानकी कहा जाता था। माना जाता है कि जानकी यहां स्नान करती थीं। जानकी कुण्ड के समीप ही राम जानकी रघुवीर मंदिर और संकट मोचन मंदिर है।
स्फटिक शिला : जानकी कुण्ड से कुछ दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार ही यह शिला स्थित है। माना जाता है कि इस शिला पर सीता के पैरों के निशान मुद्रित हैं। कहा जाता है कि जब वह इस शिला पर खड़ी थीं तो जयंत ने काक रूप धारण कर उन्हें चोंच मारी थी। इस शिला पर राम और सीता बैठकर चित्रकूट की सुन्दरता निहारते थे।
अनसुइया अत्रि आश्रम : स्फटिक शिला से लगभग 4 किमी. की दूरी पर घने वनों से घिरा यह एकान्त आश्रम स्थित है। इस आश्रम में अत्रि मुनी, अनुसुइया, दत्तात्रेयय और दुर्वाशा मुनी की प्रतिमा स्थापित हैं।
गुप्त गोदावरी : नगर से 18 किमी. की दूरी पर गुप्त गोदावरी स्थित हैं। यहां दो गुफाएं हैं। एक गुफा चौड़ी और ऊंची है। प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण इसमें आसानी से नहीं घुसा जा सकता। गुफा के अंत में एक छोटा तालाब है जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है। दूसरी गुफा लंबी और संकरी है जिससे हमेशा पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि इस गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था।
पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में हनुमान की एक विशाल मूर्ति है। मूर्ति के सामने तालाब में झरने से पानी गिरता है। कहा जाता है कि यह धारा श्रीराम ने लंका दहन से आए हनुमान के आराम के लिए बनवाई थी। पहाड़ी के शिखर पर ही सीता रसोई है। यहां से चित्रकूट का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है।