New Delhi : भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने बाबरी केस में सीबीआई कोर्ट का फैसला आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया ट्वीट कर कहा- जय श्रीराम। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया- सत्यमेव जयते! रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सत्य की जीत हुई है तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन सत्य को पराजित नहीं किया जा सकता है। इस बीच लगातार न्यायालयों को उनके कामकाज के लिये चुनौती दे रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा- वहां कोई मस्जिद था ही नहीं, यही है न्यू इंडिया का न्याय।
सत्यमेव जयते!
CBI की विशेष अदालत के निर्णय का स्वागत है।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित हो पूज्य संतों,@BJP4India नेताओं,विहिप पदाधिकारियों,समाजसेवियों को झूठे मुकदमों में फँसाकर बदनाम किया गया।
इस षड्यंत्र के लिए इन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिए।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) September 30, 2020
जय श्री राम।। pic.twitter.com/tBzRyNF3hV
— Sambit Patra (@sambitswaraj) September 30, 2020
लखनऊ की विशेष अदालत द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में श्री लालकृष्ण आडवाणी, श्री कल्याण सिंह, डा. मुरली मनोहर जोशी, उमाजी समेत ३२ लोगों के किसी भी षड्यंत्र में शामिल न होने के निर्णय का मैं स्वागत करता हूँ। इस निर्णय से यह साबित हुआ है कि देर से ही सही मगर न्याय की जीत हुई है।
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 30, 2020
सत्य परेशान हो सकता है, किंतु पराजित नहीं।
आज एक बार फिर सत्य की जीत हुई है!
भारतीय न्यायपालिका की जय!
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) September 30, 2020
बता दें कि सीबीआई की विशेष अदालत ने आज बुधवार 30 सितंबर को बाबरी केस के सभी आरोपियों को आरोपों से बरी करने का आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई ठोस प्रमाण, साक्ष्य नहीं मिला जिससे पता चले कि बाबरी को सुनियोजित, पूर्वनियोजित ढंग से षड्यंत्र करके तोड़ा गया हो। ऐसे में आरोपियों पर कोई आरोप नहीं बनता और सबको इस मामले के आरोपों से बरी किया जाता है। अदालत के इस आदेश से 28 साल से जारी संघर्ष का पटाक्षेप हो गया है। अदालत ने पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया।
There was no mosque there. Justice in new India! https://t.co/JdqfgWqzLm
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) September 30, 2020
When big news breaks, the biggest newsmakers know which channel will give them the real story. No shouting. No tamasha. Real news. Gold standard. pic.twitter.com/JhclHU8czf
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) September 30, 2020
NDTV Anchor expresses anger on Former Uttar Pradesh CM Kalyan Singh
For not killing thousands of Karsevaks during #BabriMasjid Demolition
So what the Difference between Mughuls and NDTV.?#BabriDemolitionCase pic.twitter.com/8TrBuPYEsK
— Ganesh (@GaneshJaiHind) September 30, 2020
Historical Victory, All accused acquitted. demolition was not pre-planned. Bhishm Pitamah Shri LK Advani ji Joining The Court Via Video Conference.
Jai Shri Ram 🙏 🚩 #BabriMasjid#BabriDemolitionCase #BabriVerdict pic.twitter.com/LmA5poX5l4
— Pushpendra Kulshreshtha (@iArmySupporter) September 30, 2020
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया- सत्यमेव जयते! CBI की विशेष अदालत के निर्णय का स्वागत है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित हो पूज्य संतों, @BJP4India नेताओं, विहिप पदाधिकारियों, समाजसेवियों को झूठे मुकदमों में फँसाकर बदनाम किया गया। इस षड्यंत्र के लिये इन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिये। दूसरी तरफ शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया- सत्य परेशान हो सकता है, किंतु पराजित नहीं। आज एक बार फिर सत्य की जीत हुई है! भारतीय न्यायपालिका की जय!
28 साल पहले 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को तोड़ डाला गया था। इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमरनाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर पर इसके तोड़ने का षडयंत्र रचने और पूर्वनियोजित ढंग से इसे तुड़वाने का आरोप लगा था। इस घटना ने भारतीय समाज और भारतीय इतिहास का रुख ही मोड़ दिया।
जज एसके यादव ने आज फैसला सुनाते हुये कहा कि तस्वीरों के आधार पर यह कतई साबित नहीं किया जा सकता है कि सभी नेतागण इसको तोड़ने की साजिश रच रहे थे। ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है, जिससे यह पुख्ता हो सके कि बाबरी को तोड़ने की साजिश रची गई। 6 दिसंबर 1992 के 10 दिन बाद केंद्र सरकार ने लिब्रहान आयोग का गठन कर दिया, जिसे तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन आयोग की जांच पूरी होने में 17 साल लग गये। घटना के सात दिन बाद ही मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया था।
I asked Dr Murli Manohar Joshi what was the act of demolition of #BabriMasjid if it wasn’t pre-planned. pic.twitter.com/BqXgMnxnlL
— Poulomi Saha (@PoulomiMSaha) September 30, 2020
#BabriMasjid demolition was not pre-planned. Okay? pic.twitter.com/YqsChhYmYn
— Lämb (@lambwalks) September 30, 2020
The 32 accused randomly got named in #BabriMasjid demolition, since the Court said no proof against top BJP leaders like LK Advani, Uma Bharati, Murli Manohar Joshi,Vinay Katiyar amongst others.
No one demolished #BabriMasjid ?!
Meanwhile, sweets distributed at Advani’s place pic.twitter.com/FkQYi6a7Sx
— Samia Kapoor (@iSamiakapoor) September 30, 2020
A special court in India's Lucknow will pronounce a judgment on the #BabriMasjid demolition case today
The ruling will seal the fate of 32 accused in the demolition case. @PriyankaSh25 brings you more details
Read more: https://t.co/TYAcbpfwEw pic.twitter.com/ScZbv8Anu7
— WION (@WIONews) September 30, 2020
Reaction on #BabriMasjid courts decision.#BabriDemolitionCase pic.twitter.com/RfHg5Km5lV
— Haresh Chaudhary (@haresh_20) September 30, 2020
All Acquitted in #BabriMasjid demolition case ✌️✌️✌️
Judge: "LK Advani, Uma Bharti, Katiyar and others were trying to control the Karsewaks" Jai Shri Ram 🚩🚩🚩
Leftist-Izlamists, start your RR Rudalipic.twitter.com/oB4qsyqqVo— Mihir Jha ✍️ (@MihirkJha) September 30, 2020
1992 and 2019…
And in 2020: today, actually no one demolished #BabriMasjid.
Like Kapil Mishra is in reality a great messenger of peace, Babri demolition and Rath Yatra was in reality just a fake news. All media stories before 2014 was fake news, only post-BJP media is truth. pic.twitter.com/HbMnbjYnBm— Jignesh Mevani (@jigneshmevani80) September 30, 2020
साल 2007 में ट्रायल शुरू हुआ और पहली गवाही हुई। दो अलग-अलग मामलों में कुल 994 गवाहों की लिस्ट थी, जिसमें से 351 की गवाही हुई। इसमें 198/92 मुकदमा संख्या में 57 गवाहियां हुईं, जबकि मुकदमा संख्या 197/92 में 294 गवाह पेश हुये। बाकी गवाह या तो नहीं रहे या फिर किसी का एड्रेस गलत था तो कोई अपने पते पर नहीं मिला।