New Delhi : देश के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, जो कभी उपाधियों और पद के पीछे नहीं भागे। जबकि उनके जीवन पर नजर डालें तो ऐसा लगता है कि सारी उपाधि और सारे पद उन्हेें खुद पाने को बेताब रहे। वो जेएनयू में प्रोफेसर रहे, कई बैंको के निदेशक और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष रहे, योजना आयोग के अध्यक्ष रहे और ऐसे समय भरतीय अर्थव्यवस्था के उद्धारक बने जब भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी थी। फिर बाद में 2004 में 10 सालों तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। लिस्ट यहां खत्म नहीं होती है।
India feels the absence of a PM with the depth of Dr Manmohan Singh. His honesty, decency and dedication are a source of inspiration for us all.
Wishing him a very happy birthday and a lovely year ahead.#HappyBirthdayDrMMSingh
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 26, 2020
Birthday greetings to Dr. Manmohan Singh Ji. I pray to Almighty that he is blessed with a long and healthy life.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 26, 2020
In his journey towards greatness, he took a billion people along.
One of the most competent world leaders, Dr. Manmohan Singh's vision for our Nation is uncompromising.
India is forever indebted to this great son for leading her through highs & lows.#HappyBirthdayDrMMSingh pic.twitter.com/LdNIHVmkwc
— Congress (@INCIndia) September 26, 2020
Pleased to re-post my tribute to then Prime Minister Manmohan Singh from 2012 when his legacy first began to be contested. His achievements have worn well since, haven't they?https://t.co/kgSlniGODy
#HappyBirthdayDrMMSingh @INCIndia @ProfCong
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) September 26, 2020
उन्होंने देश में मनरेगा लाकर ग्रामीण मजदूरों को रोजगार दिया, उन्हीं की सरकार में आम लोगों को जानने के हक यानी आरटीआई एक्ट मिला, उन्ही के राज में हर व्यक्ति के लिए भरपेट भोजन सुरक्षित किया गया, जिसके लिए फूल सिक्योरिटी एक्ट 2013 लाया गया। मनमोहन सिंह ने अपने ज्ञान, अपनी शिक्षा के दम पर देश के लिए जो बन पड़ा वो करते रहे। आज सत्ता परिवर्तन के बाद भले ही उनकी विभिन्न मुद्दों पर आलोचना होती हो लेकिन ऐसे भारत पुत्र का देश के प्रति योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।
मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब के छोटे से गांव गाह में पैदा हुए जो कि अब पाकिस्तान में है। पढ़ाई लिखाई के लिहाज से माहौल बेहतर नहीं था। घर से मीलों दूर वे सरकारी स्कूल मेें पढ़ने जाते थे। घर लौटते-लौटते शाम हो जाया करती। गांव में बिजली थी नहीं तो लालटेन की रौशनी में पढ़ते। पढ़ने का इतना चाव था कि गांव में जब कोई प़ढ़ने को राजी नहीं था तो वो पढ़ते-पढ़ते इंटर तक पहुंच गए और पंजाब से ही ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कर लिया। जब देश में आगे की पढ़ाई संभव नहीं हुई तो स्कोलशिप से केंब्रिज और ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। ऑक्सफॉर्ड से ही इन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी की और बन गए डॉ. मनमोहन सिंह। प्रधानमंत्री बनने के बाद 2005 में वो इंडिया-ASEAN मीटिंग का हिस्सा बनने मलेशिया गए, वहां इनका परिचय ‘दुनिया के सबसे ज्यादा शिक्षित प्रधानमंत्री’ के रूप में कराया गया।
Degrees & posts held by Dr Mammohan Singh.
Indeed, History will be kinder to him. #HappyBirthdayDrMMSingh pic.twitter.com/fPRCZrUFzm
— 𝐒𝐚𝐫𝐚𝐥 𝐏𝐚𝐭𝐞𝐥 (@SaralPatel) September 25, 2020
#HappyBirthdayDrMMSingh We remember you and miss you as PM. You built the foundation of a robust Indian economy.
Your prediction about Modi came true.
He is destroying the economy. pic.twitter.com/tIgGTGBfX7
— Krishna Mohan Sharma (@KrishnaMohanSha) September 26, 2020
"History will be kinder to me than contemporary media" – Dr MMS .
India misses you as PM sir #HappyBirthdayDrMMSingh pic.twitter.com/WaBdlXTBAI
— Ahmed Bilal Chowdhary ( احمد بلال چوہدری ) (@AhmedBilal_JK) September 26, 2020
मनमोहन सिंह इतना पढ़ चुके थे कि उन्हें विदेश में ही एक अच्छे वेतन और सम्मान वाली नौकरी मिल सकती थी। लेकिन उनकी पढ़ाई जैसे ही पूरी हुई उन्होंने देश का रुख किया और भारत आकर पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाने लगे। शुरू से ही वे भारत के प्रति समर्पित रहे। कई पदों पर काम किया। उनकी पढ़ाई का राजनीति के जरिए देश को सीधा लाभ तब मिला जब वो नरसिम्हा राव की सरकार में देश के वित्त मंत्री बनाए गए। साल था 1991 पूरी दुनिया में वैश्वीकरण की बहार आई हुई थी लेकिन भारत नई अर्थव्यवस्था की ओर बढ़े इसके लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव अभी भी कमजार थी। भारतीय रुपया लगातार कमजोर हो रहा था और देश विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रहा था। देश में आयात के लिए विदेशी मुद्रा भी कुछ ही हफ्तों में खत्म होने वाली थी। जब वित्त मत्री की कमान मनमोहन ने संभाली तो मनमोहन सिंह ने न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को उबारा बल्कि उदारीकरण की राह प्रशस्त की और भारतीय बाज़ार को पूरी दुनिया के लिए खोल दिया। यही वजह है कि डॉक्टर मनमोहन सिंह को भारत में आर्थिक उदारीकरण का जनक माना जाता है।
अब उनकी छवि एक पढ़े लिखे राजनेता के तौर पर बन चुकी थी इसी छवि को ध्यान में रखकर 2004 में उन्हें देश के पहले गैर हिंदू प्रधानमंत्री के रूप में चुन लिया गया। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने कई अहम फैसले लिए जो कि आज भी देश के हित में काम कर रहे हैं, फिर वो चाहें आरटीआई हो, मनरेगा रोजगार गारंटी अधिनियम हो या फिर खाद्य सुरक्षा बिल हो। उन्हीं की सरकार में देश के हर नागरिक को विशेष पहचान संख्या यानी आधार कार्ड से जोड़ा गया।
"My loyalty has been with Congress Party, I believe in obeying my principles and morals". #HappyBirthdayDrMMSingh pic.twitter.com/4otiGR8pZT
— HALKA TEDHA (@HalkaTedha) September 26, 2020
Can Modi achieve 5% of Dr MMSingh Govts Achievement?
(SEZ Act
RTI
MGNREGA,
1st Space Rocket
Chandrayaan 1
Nuclear Deal
RTE
Polio Eradicated
Agni V Missile
Food Safety Act
INS Vikrant
Mangalyaan Mars Mission
Women President
GDP 10.08%
..)#HappyBirthdayDrMMSingh 👏@INCIndia pic.twitter.com/RHcIfKwi2j— Dhananjaya Rai (@dhananjaya_rai) September 26, 2020
इस योजना की तारीफ यूएन ने भी की। उनके योगदान उनकी आलोचना से हमेशा बड़े रहेंगे।उनके जीवन पर एक ‘द एक्सीडेंटर प्राइम मिनिस्टर’ के नाम से बीते साल फिल्म बनी, जिसमें अनुपम खैर ने मनमोहन सिंह का किरदार निभाया।