कभी नहीं गये कॉलेज, घर बैठे बने करोड़पति, आज दूसरों को कुछ करना और पढ़ना सिखाते हैं हिमेश

New Delhi : हिमेश मदान की मोटिवेशनल या दूसरी ज्ञानवर्धक वीडियो आपने यूट्यूब, फेसबुक या फिर किसी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरीए देखी होगी। आज वो एक बिजनेस मैन हैं, लेखक हैं, मोटीवेशनल स्पीकर हैं और एक सफल यूट्यूबर हैं। सबसे बड़ी और खास बात ये है कि उन्होंने ये सफलता कॉलेज जाकर या कोई कोर्स पूरा कर या फिर कोई बिजनेस करके या किसी बड़ी कंपनी में नौकरी करके हासिल नहीं की। वो कहते हैं कि मैं घर पर ही रहा तभी कुछ बन सका। आपने देखा होगा कि लोग अपनी सफलता के लिए विदेश तक के चक्कर लगा आते हैं ऐसे में हिमेश का ये कहना कि आज वो जितना भी कुछ जानते हैं तो इस वजह से कि उन्हें घर बैठने का मौका मिला।

ऐसा भी नहीं है कि उनके पिता का बड़ा कारोबार या अपार संपत्ति हो। वो बताते हैं कि उन्होंने अपने बचपन में ऐसे दिन भी देखे हैं जब एक दिन खाना मिलने के बाद दूसरे दिन का पता नहीं होता था कि अगले दिन खाना मिल पाएगा कि नहीं। तो फिर आखिर हिमेश ने अपने आपको घर बैठे कैसे तैयार किया। कैसे एक लड़का जो कॉलेज नहीं गया वो आज बड़े-बड़े कॉलेज और इंस्टीट्यूट में बोलने जाता है।
हिमेश मदान का जन्म पंजाब के अमृतसर में 1984 को हुआ। परिवार ज्यादा बड़ा नहीं था। परिवार में पिता ही एकमात्र आमदनी का जरिया थे। उनके पिता एक कॉर्पोरेट कंपनी में काम करते थे और जब भी उन्हें टाइम मिलता वो सेमिनारों में मोटीवेशनल स्पीकर के तौर पर बोलने जाया करते थे। उनका नाम टीएस मदान है, जो कि आज एक जाने माने मोटीवेशनल स्पीकर हैं। लेकिन ये मौके कभी-कभी ही आते थे तो इस काम से उनकी ज्यादा आमदनी नहीं हो पाती थी। आज काम मिला तो कल का पता नहीं होता था इसलिए परिवार ने आर्थिक तंगी के हालात भी देखे। पिता ने बेटे हिमेश मदान को हमेशा प्रेरित किया। उनकी प्रेरणा से ही वो दूसरों से कुछ अलग और नया कर पाए। हिमेश ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद कॉलेज न जाने का फैसला लिया। उनके पिता ने कहा कॉलेज नहीं जाएगा तो घर बैठे क्या करेगा। उन्होंने अपने आपको घर बैठे ही तैयार किया।
2012 में उन्होंने कॉलेज न जाकर घर पर ही बैठने का फैसला किया। हिमेश बताते हैं कि वो 6 महीनों तक घर से कम ही बाहर निकलते थे। इन 6 महीनों में उन्होंने मोबाईल में गेम नहीं खेली, सोशल मीडिया पर टाइम नहीं बिताया, अपने दोस्तों से फालतु बातें नहीं की उन्होंने अपनी हर कमजोरी को समझा और उसे सुधारने और फिर निखारने में लग गए। उन्होंने अपनी इंगलिश पर काम किया, अपनी हिंदी मजबूत की, अपनी बॉडीलेंग्वेज पर काम किया। इसके साथ ही उन्होंने वो जानकारियां इकट्ठी कर लीं जो आमतौर पर कम ही लोगों को पता होती हैं। वो बताते हैं कि जब उनके दोस्त ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कर अपनी पहली जॉब करने जा रहे थे तब वो 3 बड़ी कंपनियों में काम करके छोड़ चुके थे। यहां वो कंपनियों से प्रमोशन ले चुके थे जबकि उनके साथी अभी अपने करियर की शुरुआत ही कर रहे थे।
उनकी जिंदगी में इंटरनेट का बड़ा योगदान रहा है। इसके जरीए उन्होंने कई नई चीजों को जाना पढ़ाई की और फिर बाद में इसी के जरिए उन्होंने दूसरों को पढ़ाना, मोटीवेट करना और पैसा कमाना शुरू कर दिया। उन्होंने जो कुछ भी सीखा था क्रियेटिव तरीके से ब्लाग राइटिंग के जरिए लोगों को बताने लगे। 2015 में जब यूट्यूब ग्रो कर रहा था तो उन्होंने अपने ज्ञान को अब लिखने के बजाए वीडियो के जरिए बताने का फैसला किया। सस्ते और तेज इंटरनेट के जरिए वीडियो इंडस्ट्री ने तेजी से रफ्तार पकड़ी जिसे समय रहते हिमेश ने पहचाना।

अब वो यूट्यूब के जरिए अपना एजुकेशनल चैनल चलाने लगे। यहां उन्होंने मोटीवेशन से ज्यादा लोगों के कौशल को निखारने में मदद की। मसलन गूगल पर कैसे सर्च करें, अच्छी पीपीटी कैसे बनाएं, अपनी पर्सनेलिटी को कैसे निखारें जैसे एजुकेशनल वीडियो बनाए लोगों ने उन्हें इतना पसंद किया कि आज 55 लाख लोग उनके यूट्यूब चैनल से जुड़े हुए हैं। उनका कहना है कि आप अपना कोई भी दिन खाली मत जाने दो कुछ न कुछ करो। एक शेर के जरिए वो अपनी बात को कहते हैं कि “क्यों सोचे जिंदगी में क्या होगा, कुछ न होगा तो तज़र्बा होगा।”

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