New Delhi : एक लड़की जिसका बचपन दिल्ली की रेलवे लाइन के किनारे बसी झुग्गियों में बीता, जिसके पिता फुटपाथ में छोटे-मोटे सामानों को बेच कर घर का गुजारा करते थे, जिसने सरकारी स्कूल से शिक्षा हासिल की और अपनी पूरी पढ़ाई के लिए पैसा जिसने ट्यूशन पढ़ाकर निकाला, क्या आप सोच सकते हैं इन परिस्थितियों में पली बढ़ी कोई लड़की इतना पढ़ जाएगी कि वो एक दिन देश की सबसे कठिन समझी जाने वाली परीक्षा यूपीएससी पास कर आइएएस ऑफिसर बन जाए। इस कल्पना -सी लगने वाली कहानी को हकीकत में जिया है उम्मुल खेर ने। उम्मुल खेर को चुनौतियां और परेशानियां जैसे विरासत में मिली हों।
I am thankful to all the circumstances and situations. They made me much mature and strong: Ummul Kher #UmmulWinsUPSC pic.twitter.com/cDBTlaBn0j
— NewsX (@NewsX) June 3, 2017
Medicine's Great Teachers: #UmmulKher challenging the hegemony of ‘normalcy’ while explaining the competency "Respect for the differences & capacities of persons with #disabilities as part of human #diversity & #humanity". #DisabilityCompetencies #UCMS #LivedExperience #CRPD pic.twitter.com/LF22WzUX7h
— Satendra Singh, MD (@drsitu) August 24, 2019
The inspirational story of Ummul Kher, who cracked the UPSC exam at first attempt, despite all the struggle #ummulkher #UPSC #Inspiration pic.twitter.com/3HItsW1jws
— The Voice Raiser (@thevoiceraiser2) June 6, 2017
Ummul Kher – Script your own story https://t.co/zkLrANa570
Listen to Ummul Kher sharing her journey at IIS 2017. Despite her brittle bones, her strong spirit carried her forward to script her success story. #iis2017 #inclusiveindia #indiainclusionsummit@VRFerose
— India Inclusion Summit (@IndiaInclusion) December 23, 2017
गरीबी और दूसरी समस्याएं तो छोटी थी लेकिन उम्मुल इसके अलाव जिस समस्या से जूझ रही थी वो उनके पैदा होने के साथ ही उनके शरीर में आई। वो हड्डियों से जुड़ी ऐसी बीमारी का शिकार हैं जिसमें हड़्डियां बेहद कमजोर होती हैं। उन्हें जब छोटी सी भी जोट लगती तो उन्हें फ्रेक्चर हो जाता। जिसके चलते उनकी 8 सर्जरी हुईं। इन सभी समस्याओं से लड़ते हुए न सिर्फ उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि अपने सपनों को भी पूरा किया।
उम्मुल जब तीन या चार साल की होंगी जब उनका परिवार राजस्थान से दिल्ली आया। वो एक गरीब मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखती हैं। जब वो दिल्ली आए तो उनके परिवार ने निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के किनारे बनी झुग्गियों में शरण ली और वहीं रहने लगे। उनके पिता घर चलाने के लिए रेलवे स्टेशन पर छोटे-मोटे सामानों को बेचा करते थे। साल 2000 में वहां से झुग्गियां हटा दी गईं। जिसके बाद उनका परिवार बेघर हो गया। पिता का जो छोटा-मोटा काम ता वो भी छूट गया, तब उम्मुल 6वीं क्लास में पढ़ती थीं। इसके बाद उनका परिवार त्रिलोकपुरी आ गया जहां वो किराय पर एक छोटा कमरा लेकर रहने लगे। घर की हालत देख कर उन्होंने कालोनी के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया तब वो 7वीं क्लास में थीं। उन्हें इसमें महीने में 50 या 100 रुपये ही मिलते। जब उम्मुल आठवीं क्लास में आईं तो परिवार में उनकी पढ़ाई छुड़वाने की बातें होने लगीं। उनकी अम्मी उन्हें सिलाई-कढ़ाई का काम सिखाना चाहती थीं। लेकिन बेटी की मेहनत ने अपनी तकदीर को खुद लिखा।
उम्मुल अपनी शारीरिक कमजोरी का तो सामना कर ही रही थी साथ ही वो पारिवारिक स्थिति से भी परेशान रहती थीं। लेकिन उन्हें पता था कि इस स्थिति से परिवार को उबारने के लिए कुछ बड़ा करना ही होगा जो कि बिना पढ़ाई के संभव नहीं था। लेकिन उम्मुल ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। वो सुबह स्कूल जाती और दोपहर से रात तक बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती। जैसे-तैसे उन्होंने 10वीं अच्छे नंबरों से पास की जिसकी एवज में उन्हें स्कॉलर्शिप मिली और उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढाई स्कॉलर्शिप के दम पर ही की। इसके बाद उन्होंने जेएनयू से एम ए के दाखिले के लिए फॉर्म डाला जहां उनका दाखिला इंटरनैशनल रिलेशन्स में हो गया जो कि उनका एमए सब्जेक्ट था। उम्मुल की जिंदगी में जेएनयू एक बड़ी राहत के रूप में आया। यहां उन्हें स्कॉलर्शिप के साथ कम खर्चे में खाना और रहना मिलता रहा।
NWI Exclusive: In Conversation With 28-Yr-Old #ummulkher Who Cracked The #UPSC Exam
For Video, Click here: https://t.co/KmotOFj5Ik pic.twitter.com/jFInt1PIZe— News World India (@NewsWorldIN) June 6, 2017
This is quite moving inspiration#UmmulKher flight without wing!!https://t.co/86P5S2CV6W
— आर्यपुत्र!!! (@beingccr) September 22, 2020
UPSC Civil Services exam 2017: Disowned at 14, born with fragile bone disorder, Ummul Kher bags rank 420 | https://t.co/Usw4VoM7wJ pic.twitter.com/gRfIFYjzGO
— The Indian Express (@IndianExpress) June 2, 2017
16 fractures & 8 surgeries have not been able to break the spirit of Ummul Kher who has cracked the UPSC exam https://t.co/J5tzAbm1K4 pic.twitter.com/nZPXcCY9sU
— HuffPost India (@HuffPostIndia) June 2, 2017
यहां से वो अपना एम ए करने के बाद जापान चली गईं। फिर उन्होंने जेएनयू से ही पीएचडी तक का सफर तय किया। अपनी पीएचडी के साथ ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में बैठने का मन बनाया और 2016 की यूपीएससी परीक्षा उन्होंने पहली ही बार में पास की। उन्हें ऑल इंडिया 420वीं रेंक मिली थी। उम्मुल जहां पली बढ़ी उस त्रिलोकपुरी के इलाके में उनका नाम आज हर कोई जानता हैं। यहां की लड़कियां आज उन्ही के जैसा बनने के सपने देख पा रही हैं तो वो उम्मुल के वजह से ही।