New Delhi : पहाड़ों को तोड़, धरती को आकार देकर, 30 साल तक लगातार फरसा और कुदाल चलाने वाले लौंगी भुइयां की कहानी अब राष्ट्रीय महत्व का विषय है। बिहार एक्सप्रेस ने 13 सितंबर को आपकी लौंगी भुइयां नाम के बिहार के असली हीरो से रुबरू करवाया था। हमने आपको बताया था कि लौंगी भुइयां ने कैसे 30 साल अकेले मेहनत कर अपने गांव और आसपास के लिए नहर खोद दी। आज पहाड़ियों का पानी इस नहर की मदद से नीचे आ रहा है और 3 गांवों के 3000 लोगों को लाभ मिल रहा है। अब लौंगी भुइयां की कहानी एक पत्रकार के माध्यम से महिंद्रा कंपनी के मालिक आनंद महिंद्रा तक पहुंच गई है और उन्होंने बिहार के इस हीरो को ट्रैक्टर देने का ऐलान किया है। आइए आपको पहले बताते हैं कि ये कहानी उनतक पहुंची कैसी।
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Bihar: A man has carved out a 3-km-long canal to take rainwater coming down from nearby hills to fields of his village, Kothilawa in Lahthua area of Gaya. Laungi Bhuiyan says, "It took me 30 years to dig this canal which takes the water to a pond in the village." (12.09.2020) pic.twitter.com/gFKffXOd8Y
— ANI (@ANI) September 12, 2020
उनको ट्रैक्टर देना मेरा सौभाग्य होगा। As you know, I had tweeted that I think his canal is as impressive a monument as the Taj or the Pyramids. We at @MahindraRise would consider it an honour to have him use our tractor. How can our team reach him @rohinverma2410 ? https://t.co/tnGC5c4j8b
— anand mahindra (@anandmahindra) September 19, 2020
Many glorious monuments have been built which have involved sweat & toil over decades. But those were usually the visions of absolute monarchs using the labour of their subjects. To me, this humble canal is no less glorious than the pyramids or the Taj. https://t.co/in2cAVvnFv
— anand mahindra (@anandmahindra) September 13, 2020
दरअसल पत्रकार रोहिन कुमार ने 18 सितंबर को एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने आनंद महिंद्रा को टैग करते हुए लौंगी भुइयां का जिक्र किया। रोहिन ने ट्वीट में लिखा कि गया के लौंगी माँझी ने अपने ज़िंदगी के 30 साल लगा कर नहर खोद दी। उन्हें अभी भी कुछ नहीं चाहिए, सिवा एक ट्रैक्टर के। उन्होंने मुझसे कहा है कि अगर उन्हें एक ट्रैक्टर मिल जाए तो उनको बड़ी मदद हो जाएगी। फिर उन्होंने लिखा कि आनंद महिंद्रा को इस शख्स को सम्मानित करते हुए गर्व की अनुभूति होगी। पत्रकार रोहिन का यह ट्वीट वायरल हो गया। इसके बाद रोहिन ने एक अगले ट्वीट में लौंगी भइयां पर की गई स्टोरी को भी पेश किया। रोहिन इतने पर नहीं रुके। उन्होंने एक और ट्वीट किया, जिसमें इस बार उन्होंने महिंद्रा ट्रैक्टर के ट्विटर हैंडल को टैग किया। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा कि आपके बायो में लिखा है कि आप किसानों के सपनों को पूरा करने में उनकी मदद करते हैं। आप उन्हें आगे बढ़ने में मदद करते हैं। कृपया लौंगी भुइयां को आगे बढ़ने में मदद करें।
अब जब यह ट्वीट वायरल हुआ तो आनंद महिंद्रा तक पहुंच गया। आनंद महिंद्रा ने रोहिन के ट्वीट को कोट करते हुए लिखा कि उनको ट्रैक्टर देना मेरा सौभाग्य होगा। उन्होंने आगे लिखा कि लौंगी भुइयां की नहर किसी ताजमहल या पिरामिड से कम नहीं है। उन्होंने ऐलान किया कि महिंद्रा ग्रुप को उन्हें ट्रैक्टर देते हुए गर्व की अनुभूति होगी। फिर उन्होंने ट्वीट पर ही पत्रकार रोहिन से पूछा कि लौंगी भुइयां तक कैसे पहुंचा जा सकता है। आपको बता दें कि आनंद महिंद्रा इस तरह के कार्यों के लिए जाने जाते हैं। वो अक्सर ट्वीट पर ही लोगों की मदद का ऐलान करते हैं। इनोवोटिव कार्यों को लगातार ऐसी मदद से प्रोत्साहित करते रहते हैं। अब यहां तक की कहानी जान लेने के बाद चलिए आपको लौंगी भुइयां की कहानी बताते हैं।
Meet Laungi Bhuiyan, a man from Bihar who digs out canal single-handedly
Laungi Bhuiyan said, “It took me 30 years to dig this canal which takes the water to a pond in the village. For the last 30 years, I would go to the nearby jungle to tend my cattle and dig out the canal.” pic.twitter.com/k2ILtQwcb2
— The Times Of India (@timesofindia) September 13, 2020
बिहार के गया ज़िले के लौंगी भुइयां ने रचा इतिहास, दशरथ मांझी के बाद एक और Mountain Man #LaungiBhuiyan
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स्वतंत्र पत्रकारिता को जिंदा रखें, 'मैं मीडिया' को Donate करें: https://t.co/NaKWLelYaK pic.twitter.com/36Q4hvU4EE— Main Media (@MainMediaHun) September 18, 2020
मिलिए बिहार के दूसरे दशरथ मांझी लौंगी भुइयां से, जिन्होंने अपनी जिदंगी के 30 साल एक नहर खोदने में लगा दिए. जानिए क्यों?#LaungiBhuiyan #Bihar #Canal #DashrathManjhi #NEWJ pic.twitter.com/EnR6IKfGMD
— NEWJ (@NEWJplus) September 15, 2020
बिहार के गया जिले में लुटुआ नाम की एक पंचायत पड़ती है। इसी पंचायत के एक छोटे से गांव कोठिलवा का 70 साल का यह बुजुर्ग जब अपनी 30 साल की मेहनत की कहानी सुनाता है तो सामने वाले की आंखें अचरज से फैल जाती हैं। आज से 3 दशक पहले यानी 1990 के दशक का बिहार। बिहारी सब रोजगार की तलाश में अपने गांवों को छोड़ शहरों की ओर पलायन शुरू कर चुका था। पलायन करने वालों में बड़ी संख्या तो ऐसी थी, जिसे राज्य ही छोड़ना पड़ा थाय़ इसी पलायन करने वालों में लौंगी भुइयां का एक लड़का भी था। करता भी क्या, जीवन के लिए रोजगार तो करना ही था क्योंकि गांव में पानी ही नहीं था तो खेती क्या खाक होती। आज से तीन दशक पहले जब ये सब हो रहा था तो लौंगी भुइयां बस अपने आसपास से बिछड़ रहे चेहरों को देख रहे थे। एक दिन बकरी चलाते हुए उन्होंने सोचा, अगर खेती मजबूत हो जाए तो अपनी माटी को छोड़कर जा रहे लोगों का जत्था शायद रुक जाए। पर खेती के लिए तो पानी चाहिए था।
उस दिन लौंगी भइयां ने जो फावड़ा कंधे पर उठाया, आज तीन दशक बाद जब गांव में पानी आ पहुंचा है तब भी ये फावड़ा उनके कंधे पर ही मौजूद है। हां इतना जरूर है कि गांव तक पानी आ पहुंचा है। 30 साल की अथक मेहनत के बीच यह शख्स बूढ़ा हो गया लेकिन गांव की जवानी को गांव में ही रुकने की व्यवस्था देने में कामयाब जरूर हो गया। इतनी बातों का सार यह है कि लौंगी भइयां अकेले दम पर फावड़े से ही 3 किलोमीटर लंबी नहर खोद पहाड़ी के पानी को गांव तक लेकर चला आया। अब जब बारिश होती है तो पहाड़ी से नीचे बहकर पानी बर्बाद नहीं होता बल्कि लौंगी भुइयां की बनाई हुई नहर के रास्ते गांव के तालाब तक पहुंचता है। 3 किलोमीटर लंबी यह नहर 5 फीट चौड़ी और 3 फीट गहरी है। बारिश के पानी के संरक्षण की सरकारी कोशिशों का हाल तो सरकार जाने लेकिन लौंगी भुइयां की इस सफल कहानी से आसपास के 3 गांवों के 3000 लोगों को लाभ मिला है।
लौंगी भुइयां बताते हैं कि अक्सर उनके परिवार वाले उन्हें टोकते थे, ये सब क्या कर रहे हो। अक्सर गांव के दूसरे सयाने उन्हें चिढ़ाते थे और कहते थे पगला गया है। पर जैसा महान क्रांतिकारी सुखदेव ने गाया था न कि इन्हीं बिगड़े दिमागों में घनी खुशियों के लच्छे हैं, हमें पागल ही रहने दो कि हम पागल ही अच्छे हैं। ठीक वैसे ही लौंगी भुइयां अपने इस कथित पागलपन में मस्त रहे और तीस सालों तक उनके फावड़े लगातार पथरीली धरती को काट नए जीवन को आकार देता रहा।
Last time it was Dashrath Manjhi. These are the ones who deserve Bharat Ratna.
— Anshuman अंशुमान انشومان (@advanshu2011) September 13, 2020
Salute to this man for his great work.
"अपना हाथ जगन्नाथ"Sir, It is indeed an inspiring story but at the same time its also a story of govt apathy & failure that they couldn't accomplish it in 30 years. #dashrathmanjhi #Bihar
— Bihar Reawakens (@BiharReawakens) September 14, 2020
एक राजा भगरीथ थे जो धरती पर जीवनदायिनी मां गंगा को उतार लाए थे और एक ये आज के भगीरथ हैं जो बगल की पहाड़ी से जीवन की आस जल को गांव तक खींच लाए। जल संरक्षण का उनका ये प्रयास अब जिम्मेवार अफसरों तक पहुंचा है। वो अफसर आज उनके इस भगीरथ प्रयास की तारीफ कर रहे हैं। लेकिन ये वही अफसर हैं जो ऐसी पहाड़ियों पर पानी रुकने के लिए चेकडैम बनाते हैं तो लाखों-करोड़ों का वारा न्यारा तो होता पर पानी उन डैम में कभी नहीं रुकता। लौंगी भुइयां हमारे बिहार के हीरो हैं। लौंगी भुइयां को सलाम बनता है।