New Delhi : हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा से 30 किलो मीटर दूर स्तिथ है, ज्वाला देवी मंदिर। इसे जोता वाली का मंदिर भी कहा जाता है। यहां देवी सती की जीभ गिरी थी। यहाँ पर पृथ्वी के गर्भ से नौ अलग अलग जगह से ज्वाला निकल रही है जिसके ऊपर ही मंदिर बना दिया गया हैं। इन नौ ज्योतियां को महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है। इस जगह के बारे में एक कथा अकबर और माता के परम भक्त ध्यानु भगत से जुडी है। जिन दिनों भारत में मुगल सम्राट अकबर का शासन था,उन्हीं दिनों की यह घटना है। हिमाचल के नादौन ग्राम निवासी माता का एक सेवक धयानू भक्त एक हजार यात्रियों सहित माता के दर्शन के लिए जा रहा था।
Located in the Kangra district of Himachal Pradesh, Jwala Devi temple is one of the mythical Shaktipeeths. Pilgrims believe that a single visit to the Devi marks the end of all struggles. Visit this sacred temple in #Sharanam with @iam_juhi, Tuesday at 8pm. pic.twitter.com/1l2fmsUVQR
— Epic TV India (@EpicChannelIn) December 28, 2017
My home is where Maa resides
Maa Jwala Ji mandir at Khrew, Kashmir
Maa Jwala is isht Devi of many Kashmiri Hindus
Know as Jwala Ji as it is situated on a hill where once there was a massive VOLCANO
Temple has a natural spring where fresh hot & cold water keeps coming
जय माँ pic.twitter.com/K4KOCQ4ej9
— That Kashmiri Guy (@ThtKashmiriGuy) March 7, 2020
इतना बड़ा दल देखकर बादशाह के सिपाहियों ने चांदनी चौक दिल्ली मे उन्हें रोक लिया और अकबर के दरबार में ले जाकर ध्यानु भक्त को पेश किया। बादशाह ने पूछा तुम इतने आदमियों को साथ लेकर कहां जा रहे हो। ध्यानू ने हाथ जोड़ कर उत्तर दिया मैं ज्वालामाई के दर्शन के लिए जा रहा हूं मेरे साथ जो लोग हैं, वह भी माता जी के भक्त हैं, और यात्रा पर जा रहे हैं। अकबर ने सुनकर कहा यह ज्वालामाई कौन है ? और वहां जाने से क्या होगा? ध्यानू भक्त ने उत्तर दिया महाराज ज्वालामाई संसार का पालन करने वाली माता है।
वे भक्तों के सच्चे ह्रदय से की गई प्राथनाएं स्वीकार करती हैं। उनका प्रताप ऐसा है उनके स्थान पर बिना तेल-बत्ती के ज्योति जलती रहती है। अकबर ने कहा अगर तुम्हारी बंदगी पाक है तो देवी माता जरुर तुम्हारी इज्जत रखेगी। अगर वह तुम जैसे भक्तों का ख्याल न रखे तो फिर तुम्हारी इबादत का क्या फायदा? या तो वह देवी ही यकीन के काबिल नहीं, या फिर तुम्हारी इबादत झूठी है। इम्तहान के लिए हम तुम्हारे घोड़े की गर्दन अलग कर देते है, तुम अपनी देवी से कहकर उसे दोबारा जिन्दा करवा लेना। इस प्रकार घोड़े की गर्दन काट दी गई। ध्यानू भक्त ने कोई उपाए न देखकर बादशाह से एक माह की अवधि तक घोड़े के सिर व धड़ को सुरक्षित रखने की प्रार्थना की। अकबर ने ध्यानू भक्त की बात मान ली और उसे यात्रा करने की अनुमति भी मिल गई।
बादशाह से विदा होकर ध्यानू भक्त अपने साथियों सहित माता के दरबार मे जा उपस्थित हुआ। स्नान-पूजन आदि करने के बाद रात भर जागरण किया। प्रात:काल आरती के समय हाथ जोड़ कर ध्यानू ने प्राथना की कि मातेश्वरी आप अन्तर्यामी हैं। बादशाह मेरी भक्ती की परीक्षा ले रहा है, मेरी लाज रखना, मेरे घोड़े को अपनी कृपा व शक्ति से जीवित कर देना। कहते है की अपने भक्त की लाज रखते हुए माँ ने घोड़े को फिर से ज़िंदा कर दिया।
यह सब कुछ देखकर बादशाह अकबर हैरान हो गया। उसने अपनी सेना बुलाई और खुद मंदिर की तरफ चल पड़ा। वहाँ पहुँच कर फिर उसके मन में शंका हुई। उसने अपनी सेना से मां की ज्योतियों को बुझाने के लिए अकबर नहर बनवाया लेकिन मां के चमत्कार से ज्योतियां नहीं बुझ पाईं। इसके बाद अकबर मां के चरणों में पहुंचा लेकिन उसको अहंकार हुआ था कि उसने सवा मन (पचास किलो) सोने का छत्र हिंदू मंदिर में चढ़ाया है।
Maa Jwala Devi ki Akahnd Jyoti ….🪔 🙏🙏🌷🌷🚩🚩
Stay Blessed Always pic.twitter.com/HUO3dWS9iS— मैं भी सैनिक ममता गुप्ता (राम भक्त) (@Mamta810) April 1, 2020
इसलिये ज्वाला माता ने वह छतर कबूल नहीं किया, इसे लोहे का बना (खंडित) दिया था। आप आज भी वह बादशाह अकबर का छतर ज्वाला देवी के मंदिर में देख सकते हैं जब माँ ने अकबर का घम्मंड दूर कर दिया था और अकबर भी माँ का सेवक बन गया था,तब अकबर ने भी माँ के भगतो के लिए वहाँ सराय बनवाए।