New Delhi : भारत रत्न प्रणब मुख्यर्जी नहीं रहे। 84 साल के प्रणव मुख्यर्जी 10 अगस्त से हॉस्पिटल में भर्ती थे। उन्होंने 10 अगस्त को खुद ट्वीट कर कोरोना संक्रमण की जानकारी दी थी। इसको लेकर जब वे हॉस्पिटल में भर्ती हुये तो उसी दिन उनके मस्तिष्क की सर्जरी की गई थी। मुखर्जी को बाद में फेफड़े में संक्रमण हो गया। सरकार ने 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर साल 1969 में उन्होंने कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की। इससे पहले वे अलग-अलग जगहों पर नौकरी करते रहे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर क्लर्क किया था। इसके बाद उन्होंने बांग्ला न्यूज पेपर में जर्नलिज्म किया और टीचर भी रहे।
With a Heavy Heart , this is to inform you that my father Shri #PranabMukherjee has just passed away inspite of the best efforts of Doctors of RR Hospital & prayers ,duas & prarthanas from people throughout India !
I thank all of You 🙏— Abhijit Mukherjee (@ABHIJIT_LS) August 31, 2020
पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी जी का निधन पूरे देश के लिए एक अपूर्णीय क्षति है।
प्रणब दा पूरे कांग्रेस परिवार का मार्गदर्शन करने वाले अभिवावक एवं एक कुशल राजनेता थे।
विनम्र श्रद्धांजलि।
ईश्वर इस दुख की घड़ी में उनके परिजनों को दुख सहने का साहस दें।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) August 31, 2020
Here, #PranabMukherjee talks about PM Modi. pic.twitter.com/227bgfFkpc
— Abhijit Majumder (@abhijitmajumder) August 31, 2020
With great sadness, the nation receives the news of the unfortunate demise of our former President Shri Pranab Mukherjee.
I join the country in paying homage to him.
My deepest condolences to the bereaved family and friends. pic.twitter.com/zyouvsmb3V
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 31, 2020
करीब 50 साल के राजनैतिक जीवन में प्रणब मुख्यर्जी ने कई सारी जिम्मेदारियां निभाईं। उन्होंने विदेश, रक्षा, वाणिज्य और वित्त मंत्रालय का काम देखा। वे 5 बार राज्यसभा के सदस्य चुने गये। 2 बार लोकसभा सांसद बने। 77 साल की उम्र में राष्ट्रपति बने। उनके पास इतिहास, राजनीतिक शास्त्र और कानून की डिग्रियां थीं। 2008 में उन्हें पद्म विभूषण और 2019 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत तमाम गणमान्य लोगों ने शोक व्यक्त करते हुये कहा है कि प्रणव मुख्यर्जी के जाने से भारतीय राजनीतिक पटल पर शून्यता आ गई है।
प्रणब मुखर्जी ने साल 1963 में कलकत्ता के पोस्ट और टेलीग्राफ ऑफिस में एक अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में करियर की शुरुआत की थी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक ऐसे व्यक्ति रहे जो उनके अंदर भी काम कर चुके थे और बाद में उनके बॉस भी बने। इंदिरा गांधी के शासनकाल में 1980 से 84 के दौरान मनमोहन सिंह सचिव थे जबकि प्रणव मुखर्जी कैबिनेट मंत्री।
I was new to Delhi in 2014. From Day 1, I was blessed to have the guidance, support and blessings of Shri Pranab Mukherjee. I will always cherish my interactions with him. Condolences to his family, friends, admirers and supporters across India. Om Shanti. pic.twitter.com/cz9eqd4sDZ
— Narendra Modi (@narendramodi) August 31, 2020
मनमोहन सिंह ने 2017 में प्रणब की ऑटोबायोग्राफी के विमोचन के मौके पर कहा था- जब मैं प्रधानमंत्री बना, तब प्रणब मुखर्जी इस पद के लिये ज्यादा काबिल थे, लेकिन मैं कर ही क्या सकता था? कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी ने मुझे चुना था। मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। प्रणब को प्रधानमंत्री नहीं बनाने का शिकवा करने का पूरा हक है। वैसे प्रणब मुखर्जी के जीवन में कई ऐसे मौके आये जब लगा कि वे प्रधानमंत्री के उपयुक्त उम्मीदवार हैं लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं। प्रणब मुखर्जी कांग्रेस की नरसिम्हा सरकार में और यूपीए 1, यूपीए 2 में सेकेंड मैन रहे लेकिन कभी कमान उनके हाथ नहीं आई।