New Delhi : विदेशी धरती पर साल 1907 में पहली बार भारत का झंडा फहराने वाली भीकाजी कामा ने कहा था – ऐ दुनियावालों देखो, यही है भारत का झंडा। यही भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, इसे सलाम करो। इस झंडे को भारत के लोगों ने अपने खून से सींचा है। इसके सम्मान की रक्षा में जान दी है। मैं इस झंडे को हाथ में लेकर आजादी से प्यार करने वाले दुनियाभर के लोगों से अपील करती हूं कि वो भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों का समर्थन करें। 24 सितंबर 1861 को जन्मे भीकाजी के इस ओजस्वी भाषण का तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया गया था।
The first Indian Flag was designed by Bhikaji Kama in 1905. I pay my tribute to Kama on her death anniversary. pic.twitter.com/6ugrA0CpGZ
— Suresh Bhatt (@sureshbhattbjp) August 13, 2016
भीकाजी कामा ने जर्मनी के स्टुटगार्ट में हुई दूसरी इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस में ये झंडा फहराया था। ये आज के झंडे से बिल्कुल अलग था। बताया जाता है कि इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस में हिस्सा लेने वाले सभी देशों का झंडा लगा हुआ था। भारत के लिये ब्रिटिश झंडा लगा था। मैडम भीकाजी कामा को ये मंजूर नहीं था। उन्होंने एक नया झंडा बनाया और सभा में फहराया। वो पहला मौका था, जब विदेशी जमीं पर पहली बार कोई भारतीय झंडा लहराया गया था।
भीकाजी कामा द्वारा बनाया झंडा आज के झंडे से बिल्कुल अलग था। इसमें हरे, पीले और लाल रंग की तीन पट्टियां थीं। सबसे ऊपर हरा रंग था, जिसपर 8 कमल के फूल बने हुए थे। ये आठ फूल उस वक्त भारत के 8 प्रांतों को दर्शाते थे। बीच में पीले रंग की पट्टी थी। पीली पट्टी पर वंदे मातरम लिखा था। सबसे नीचे नीले रंग की पट्टी थी, जिस पर सूरज और चांद बने थे। पुणे की केसरी मराठा लाइब्रेरी में ये झंडा अब भी सुरक्षित रखा है।
1896 में तत्कालीन बॉम्बे राज्य में प्लेग बीमारी ने अपना प्रकोप दिखाया। पीड़ितों की सेवा के दौरान भीकाजी खुद भी इस बीमारी की चपेट में आ गईं। उनकी तबियत बहुत ज्यादा खराब हो गई। बाद में उन्हें बेहतर इलाज के लिए ब्रिटेन भेज दिया गया। वहीं पर वो भारतीय राष्ट्रवादी श्याम जी कृष्ण वर्मा के संपर्क में आईं। उस समय श्याम जी कृष्ण वर्मा ब्रिटेन के भारतीय समुदाय में काफी मशहूर हुआ करते थे।
कुछ सालों बाद भीकाजी की जिंदगी में वो क्षण भी आया जिसके लिए उन्हें आजतक याद किया जाता है। 22 अगस्त 1907 जब दुनिया भर की सोशलिस्ट पार्टियों के प्रतिनिधि स्टुटगार्ड में इकट्ठा हुए तो भीकाजी कामा ने भारत में फैले अकाल की पूरी स्थिति वहां मौजूद लोगों के सामने रखी। उन्होंने मानवाधिकारों, समानता और ब्रिटेन से आजादी की दुहाई देकर दुनिया भर के बड़े समाजवादी नेताओं के सामने भारतीय झंडा लहराया। भीकाजी कामा के इस साहस ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। भीकाजी कामा और श्याम जी कृष्ण वर्मा द्वारा डिजाइन किए गए इस झंडे को वर्तमान भारतीय झंडे की आधारशिला के तौर पर भी देखा जाता है।