New Delhi : असम के छोटे से गांव की रहने वाली बॉक्सर और सेना की महिला जवान जमुना बोरो ने इंडोनेशिया के लाबुआन बाजो में 23 वें राष्ट्रपति कप में प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक पिछले साल जीता था। इसके साथ ही उन्होंने अपनी मां के साथ-साथ पूरे देश का सिर ऊंचा कर दिया है। असम राइफल की राइफलमैन जीडी जमुना ने जब स्वर्ण पदक जीता था तो इसके बाद असम के मुख्यमंत्री सहित देश की तमाम हस्तियों ने उन्हें बधाई दी। असम राइफल की इस जवान की कहानी हम सभी को प्रेरित करने वाली है।
Powerful Boxing by Jamuna Boro as she defeats Ouidad Sfouh of Algeria by 5⃣-0⃣ score to advance into the quarter-finals of the Women’s World Boxing Championships in 54 kg. #PunchMeinHaiDum pic.twitter.com/YjLPZQoVge
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) October 9, 2019
Star Boxer Jamuna Boro, India's Bronze Medalist at World Boxing Championship distributing rice and food items to the needy people in Assam. Our sportspersons are doing lots of contributions during the lockdown to fight COVID-19. #IndiaFightsCorona pic.twitter.com/c7AwEtKDZl
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) April 21, 2020
जमुना बोरो का जन्म असम के सोनितपुर के बेलसिरी गांव में हुआ है। जब जमुना 10 साल की थीं, तब उनके पिता परशु बोरो की मौत हो गई थी। उस समय उनकी मां निर्मली बोरो ने सब्जी बेचकर बेटी को पढ़ाया-लिखाया। उसी बेटी ने जब इंटरनेशनल मंच पर भारत के लिए गोल्ड जीते तो मां भावुक हो गई। मां ने कहा कि उनकी बेटी ने उनके जीवन भर की मेहनत को सार्थक कर दिया है।
असम राइफल्स की राइफल वुमन /जीडी जमुना बोरो ने इटली के अनुभवी मुक्केबाज, गुइलिया लामग्ना को 5-0 के स्कोर से ध्वस्त करके इंडोनेशिया के लाबुआन बाजो में 23 वें राष्ट्रपति कप में प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक जीता है। कम उम्र में अपने पिता को खो देने के बाद, जमुना और उसके दो बड़े भाई-बहनों का पालन-पोषण उनकी मां ने किया। मां की मेहनत और बेटी के जज्बे ने 19 साल की उम्र तक जमुना के लिए नया आयाम बना दिया। उन्हें असम राइफल्स में चुने जाने के बाद विश्व स्तरीय प्रशिक्षण असम राइफल्स की तरफ से दिए गए। यहां उन्हें मिले अवसरों और जोखिम के कारण आज वो एक अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज बन पाई हैं। अब तक वो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर कई स्वर्ण जीत चुकी हैं।
अब जमुना 2020 में होने जा रहे ओलंपिक में देश के लिए पदक लाना चाहती हैं, इसे क्वॉलिफाई करने के लिए वो अपने प्रशिक्षण पर कड़ी मेहनत कर रही हैं। बता दें कि बोरो ने एक वुशु खिलाड़ी के रूप में अपना करियर शुरू किया, उन्हें जॉन स्मिथ नारज़री ने प्रशिक्षित किया। फिर 2009 में, उदलगुरी में आयोजित स्टेट वुशू चैम्पियनशिप के दौरान, उन्हें भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के पर्यवेक्षकों ने देखा।
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— Jamunaboro (@Jamunaboro1) July 9, 2020
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— Jamunaboro (@Jamunaboro1) June 26, 2020
यहां से उनके मुक्केबाजी करियर की शुरुआत हुई, वो गुवाहाटी स्थित SAI रीजनल सब सेंटर के लिए चुनी गईं। आज वो एलीट महिला टीम में शामिल हैं। उन्होंने 56 वें बेलग्रेड वुमेन्स बॉक्सिंग टूर्नामेंट में रजत पदक जीता। इसके अलावा 21 वीं से 25 जनवरी 2019 तक कोलकाता के जतिन दास पार्क में आयोजित 2 ‘बंगाल क्लासिक’ ऑल इंडिया इंविटेशनल एलीट (पुरुष / महिला) बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भाग लिया।