New Delhi : एक समय जब अटल कहा करते थे-अंधेरा छंटेगा सूरज निकलेगा कमल खिलेगा और आज वो समय है जब भारतीय राजनीति में कमल पूरी सजीवता के साथ खिला हुआ है। लेकिन आज जो भारतीय जनता पार्टी जीत के नये-नये कीर्तिमान स्थापित कर शान से सत्ता चला रही है, वोे आज से तीन दशक पहले कुछ सीटों के लिए तरस जाया करती थी। हालत इतनी बुरी थी कि 1984 में भाजपा के सिर्फ 2 सांसद ही जीतकर संसद पहुंचे थे तब कांग्रेस और अन्य दल के नेताओं के लिए यह मजाक का विषय हुआ करता था।
Tributes to beloved Atal Ji on his Punya Tithi. India will always remember his outstanding service and efforts towards our nation’s progress. pic.twitter.com/ZF0H3vEPVd
— Narendra Modi (@narendramodi) August 16, 2020
भारतीय राजनीति के युगपुरुष, कुशल प्रशासक, प्रखर राजनीतिज्ञ, कविहृदय ओजस्वी वक्ता, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन एवं भावपूर्ण श्रद्धांजलि। #AtalBihariBajpayee pic.twitter.com/4A5p6nbeTC
— Dr. Abhilash Pandey (@abhilashBJPmp) August 16, 2020
लेकिन आज जब वही कांग्रेस अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है तो वो खुद सबके सामने मजाक बनकर रह गई है और भारतीय जनता पार्टी पूरी धाक के साथ एक एक करके भारत के सभी राज्यों में अपनी सरकार बनाती जा रही है। भाजपा की इस कामयाबी के लिए स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का अहम योगदान रहा। उन्होंने ही वो जमीन तैयार की जिस पर आज पूरे हिन्दुस्तान में भाजपा की फसल लहलहा रही है। लेकिन अटल जी ने ऐसी राजनीति की जिसने देश को सबसे ऊपर रखा। आज ही के दिन ये भारत माता का लाल हमेशा के लिए अमर हो गया था। आइये उनके योगदान पर डालते हैं एक नजर।
भारतीय जनता पार्टी की जड़ें श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा बनाए गए जनसंघ में मिलती हैं। 1975 में जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया तो इसका विरोध जनसंघ के नेताओं ने खुलकर किया। इसमें अटल बिहारी वाजपेयी भी थे। दो साल बाद जब 1977 में आम चुनाव हुए तब जनसंघ ने जनता पार्टी और अन्य दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, इसका प्रमुख उद्देश्य चुनावों में इंदिरा गांधी को हराना था। कांग्रेस इस चुनाव में मुंह के बल गिरी और जनता पार्टी के नेतृत्व में मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने।
भारतीय राजनीति के स्तंभ, पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि कोटि नमन।
भाजपा को वटवृक्ष बनाने में आपका योगदान सर्वविदित है। लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति आपकी प्रतिबद्धता हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। pic.twitter.com/cHh5a88gO8— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) August 16, 2020
1979 में जनसंघ के अध्यक्ष अटल बिहारी बाजपेयी बने। उन्हें इस सरकार में विदेश मंत्रालय कार्यभार मिला। हालाँकि कुछ दलों की असहमति के चलते सरकार पांच साल नहीं चल सकी और देसाई को इस्तीफा देना पड़ा। गठबंधन के एक कार्यकाल के बाद 1980में आम चुनाव करवाये गये।
1980 के आम चुनाव से पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने गठबंधन से अलग का निर्णय किया और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। वाजपेयी ही पार्टी अध्यक्ष चुने गए। 1980 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी को फिर से जीत मिली। इस चुनाव में बीजेपी ने हिस्सा नहीं लिया था सन् 1984 में इंदिरा गांधी के निधन के बाद जब दोबारा चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी ने पहला आम चुनाव लड़ा जिसमें उसे केवल दो सीट मिली थी। लेकिन जैसे जैसे समय बीता अटल बिहारी वाजपेयी जनता की नजरों में छा रहे थे और बीजेपी हिंदू पार्टी के रूप में अपनी छवि बना रही थी। राम मंदिर, रथ यात्रा और 370 के मुद्दे पर 1989 में बीजेपी 89 सीट पर पहुंच चुकी थी।
भारत के पूर्व प्रधान मंत्री और हम सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत, भारत रत्न स्व० श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि एवं कोटि कोटि नमन । pic.twitter.com/jmYvbNPOhz
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) August 16, 2020
1996 में वो समय आया जब कुछ सालों पहले ही दो सीटें लाने वाली भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और पहली बार गैर कांग्रेसी के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने। लेकिन बीजेपी सरकार कुछ दिनों में ही गिर गई। 1998 में बीजेपी ने फिर अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर केंद्र में सरकार बनाई। लेकिन सरकार साल भर चलने के बाद फिर गिर गई। अटल ने अपनी कुशल रणनीति के तहत 20 से ज्यादा दलों को सात लाकर फिर 1999 में सरकार बनाई जो कि पूरे पांच साल चली। अटल जी के शासन की उन पांच सालों की तारीफ आज भी विपक्ष से लेकर सभी दल करते हैं।