किसान का बेटा बना आईएएस- बिना कोचिंग, बिना मदद पहले ही प्रयास में हासिल किया मुकाम

New Delhi : मध्यप्रदेश का दमोह जिला जहां कोई किसान का बेटा कलेक्टरी तक नहीं पहुंचा। पूरे जिले से संदीप पटेल ऐसे पहले अभ्यार्थी हैं जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर रुतबे वाली नौकरी देने वाली इस परीक्षा को पास किया है। इस साल अगस्त महीने में आए रिजल्ट सूचि में उनका भी नाम शामिल है। उन्हें 464वीं रेंक मिली है। खास बात ये है कि साधारण से परिवार से आने वाले संदीप पटेल ने बिना कोचिंग पहले ही प्रयास में इस परीक्षा को पास किया है। उनके सामने परीक्षा पास करने के लिए अनेकों चुनौतियां थी जिन्हें हराकर वे अब आईएएस ऑफिसर बन गए हैं।

संदीप का जन्म तो दमोह जिला में हुआ है लेकिन पन्ना जिले के पवई नगर में अपने ननिहाल में रहकर उन्होंने पहली से बारहवीं तक की शिक्षा प्राप्त की। छोटे से गांव डोली तहसील के रहने वाले संदीप ने बचपन से ही अपने नाना के यहाँ रह कर नगर सरस्वती शिशु मंदिर में कक्षा 12 तक की पढाई कर आगे की शिक्षा दिल्ली में गृहण की। दरअसल संदीप एक साधारण किसान परिवार से हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी बेहतर नहीं रही साथ ही पिता को गले का कैंसर होने की वजह से वह बेटे की पढाई में ज्यादा सहयोग नहीं कर सके। ऐसे समय में संदीप के नाना-नानी ने उन्हें पढाने की जिम्मेदारी ली। संदीप ने अपनी शिक्षा ननिहाल में रहकर ही पूरी की।

ग्रेजुएशन के लिए वो दिल्ली आ गए और दिल्ली विश्विद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा के लिए तैयारी शुरू की। लेकिन कोचिंग के लिए उनके पास पैसा नहीं था। इसलिए उन्होंने आनलाइन पढ़ाई कर इसकी पूर्ति की। जब उनका मैन्स क्लियर हुआ तो इंटरव्यू के लिए उन्होंने कुछ क्लासेस लीं। फरवरी माह में चयन हो चुका था इंटरव्यू बाकी था।

कोरोना संक्रमण के कारण इंटरव्यू लेट हुआ। जब रिजल्ट आया तो इसकी खुशी गांव भर में दिखाई दी। संदीप ने बताया कि मै मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ पिताजी किसान है ,मां गृहणी है। सन्दीप ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता पिता सहित अपने नाना नानी और गुरुजनों को दिया।

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