New Delhi : 5 अगस्त वो तारीख है जब 500 साल बाद राम मंदिर निर्माण की नींव पड़ने जा रही है। भारत के आजाद होने के 70 साल बाद भी अयोध्या में राम मंदिर एक विवाद का विषय बना रहा। कई सरकारें आईं और चली गईं लेकिन 2019 में मोदी सरकार में ही सुप्रीम कोर्ट में शांति पूर्वक इस विवाद का समाधान हो पाया। आज जब राम मंदिर के शिलान्यास की तारीख करीब है तब समूचा देश राम मंदिर निर्माण के उन सैनिकों को याद कर रहा है जिन्होंने देश के बड़े तबके की आस्था के लिए संघर्ष किया।
A Chariot in History: At a brainstorming session Pramod Mahajan came up with the idea of a nationwide grand yatra, Narendra Modi concurred and that was the beginning of the Ram Rath Yatra, writes @KanchanGupta, #AyodhyaVerdict, https://t.co/QRXm5Zr58t pic.twitter.com/4Nt78HLUqs
— Open Magazine (@Openthemag) November 15, 2019
उन सैनिकों में बड़ा नाम प्रधानमंत्री मोदी का भी है। जिस तरह महाभारत के में युद्ध के समय स्वयं श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी बने मानो उसी तरह नरेन्द्र मोदी आडवाणी के सारथी बन रथयात्रा को दिशा देने का काम कर रहे थे।
साल 1990 का समय था देश में राम मंदिर आंदोलन चरम पर था। पच्चीस सितम्बर को गुजरात के सोमनाथ मंदिर में पूजा अर्चना के बाद आडवाणी ने रथ यात्रा शुरू की थी। जो देशभर में दस हजार किलोमीटर का सफर तय करते हुए उत्तर प्रदेश के अयोध्या पंहुचना थी। सोमनाथ मंदिर से जब रथ यात्रा चलने को हुई तो नरेंद्र मोदी जो राम मंदिर आन्दोलन के एक सक्रिय और जुझारू कार्यकर्ता बन चुके थे, उन्होंने स्वयं सारथी बनना स्वीकार किया था। रथ यात्रा के दौरान वे जगह जगह कार्यकर्ताओं में उत्साह भी भरते थे।
Blessed for being part of this auspicious work and family name engraved on precious 22.6 KG Pure Silver Brick for foundation of Grand Ram Temple Ayodhya by Prime Minister Modi ji (Our name will be part of this historical event) #RamMandir #AyodhyaRamMandir #RamMandirAyodhya pic.twitter.com/kAm3w6Ruhb
— Mohit Raj (@RajDezArco) July 28, 2020
आडवाणी और रथयात्रा का नेतृत्व कर रहे बड़े नेता जब भाषण देते तो बड़ी भीड़ जुटती। महिलाएं अपने हाथों के कंगन उतार कर देती तो पुरुष न केवल आर्थिक सहयोग करते बल्कि रथयात्रा के साथ ही मीलों निकल पड़ते। अप्रैल 1990 में जब केन्द्र में मिली जुली सरकारों का दौर शुरू हुआ, मोदी की मेहनत रंग लायी, जब गुजरात में 1995 के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने बलबूते दो तिहाई बहुमत प्राप्त कर सरकार बना ली। इसी दौरान मोदी को अलग पहचान मिली।
'Modi kept 1991 vow to return and Ram mandir' https://t.co/Ig31LXI1I8 via @TOILucknow #Ayodhya #RamMandir #ramjanambhumi pic.twitter.com/R0ca86GBnt
— The Times Of India (@timesofindia) July 30, 2020
इसी प्रकार कन्याकुमारी से लेकर सुदूर उत्तर में स्थित काश्मीर तक की मुरली मनोहर जोशी की दूसरी रथ यात्रा भी नरेन्द्र मोदी की ही देखरेख में आयोजित हुई। इसके बाद अब 29 साल बाद वो समय आ गया है जब राम मंदिर का वो सारथी आगामी 5 अगस्त को राम मंदिर आंदोलन को सफल बनाएगा।