New Delhi : राम मंदिर पर दशको से अटका फैसला आ चुका है और अब भव्य मंदिर के बनने और उसके शिलान्यास का काम जोरो पर है। अब आगामी 5 अगस्त को राम मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया जाएगा। शिलान्यास के साथ ही राम भक्तों का मंदिर निर्माण का 500 साल का इंतजार खत्म हो जाएगा। ये किसी एतिहासिक घटना से कम नहीं होगा। राम मंदिर का जिक्र जब-जब किया जाएगा तो इससे जुड़ी शख्सियतों को याद किया जाएगा। इसमें सबसे बड़ा और प्रमुख नाम कल्याण सिंह का है जिन्होंने राम मंदिर के लिए सबसे बड़ी कुर्बानी दी। जब बाबारी का विवादित ढ़ांचा ढहाया गया तो कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। आज हम कल्याण सिंह के बारे में आपको वो बातें बताएंगे जिन्हें जानना आपके लिए जरूरी है।
Stars of Ayodhya Movement
Shri Kalyan SinghAccording to chargesheet filed by Central Bureau of Investigation (CBI) in Babri Masjid demolition case, just after becoming chief minister, he, with his colleagues, "visited Ayodhya & took a vow to construct Ram temple there itself"🙏🏼 pic.twitter.com/0Dbptho6dj
— AParajit Bharat 😌 (@AparBharat) July 24, 2020
इस नेता ने राजनीति की तो अपने दम पर विवादित बयान दिए तो अपने दम पर और समय आने पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तो बिना किसी से पूछ-ताछ वो भी तुंरंत और अपने दम पर दिया। 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जन्में कल्याण सिंह को बीजेपी के कद्दावर नेता के रूप रूप में जाना जाता है। 1991 में वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने ये वो समय था जब राम मंदिर आन्दोलन अपने चरम पर था। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंश से बाद कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तुरंत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
इसके साथ ही केंद्र की नरसिह्मा राव सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त कर दिया। इस्तीफे के तुर्ंत बाद कल्याण सिंह मीडिया से मुखातिब हुए और उन्होंने कहा मुझे बाबरी मस्जिद ढहाए जाने का कोई दुख नहीं है, कोई मलाल नहीं है। मैं राम मंदिर के लिए ऐसे 100 मुख्यमंत्री की कुर्सियों को ठुकरा सकता हूं। उनका ये बयान किसी के लिए विवादित रहा तो किसी के लिए प्रेरणादायी। लेकिन इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने और उसकी रक्षा न कर पाने के लिए कल्याण सिंह को एक दिन की सजा और 20 हजार का जुर्माना लगाया। आज भी उनके खिलाफ इस मामले में केस चल रहा है।
दिसम्बर 1999 में कल्याण सिंह ने पार्टी छोड़ दी और जनवरी 2004 में पुनः भाजपा से जुड़े। 2004 के आम चुनावों में उन्होंने बुलन्दशहर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा।2009 में उन्होंने पुनः भाजपा को छोड़ दिया और एटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय सांसद चुने गये। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 6 दिसंबर को दर्ज हुए एफआईआर के बाद इस मामले में सीबीआई ने जांच करते हुये 49 आरोपियों के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। इसमें से 17 आरोपी चल बसे हैं।