जब मनोज कुमार से लाल बहादुर शास्त्री ने की फिल्म बनाने की गुजारिश और वे बन गये भारत कुमार

New Delhi : हिन्दी सिनेमा में जब भी मनोज कुमार का नाम लिया जाता है तो देशभक्ति के तमाम रंग एक शख्सियत में दिखाई देने लगते हैं। असल में मनोज कुमार ने सिर्फ अभिनय ही नहीं किया बल्कि वो बॉलीवुड में नई विचारधारा के प्रवर्तक के रूप में आये। जिस समय हिन्दी सिनेमा को धार्मिक और घरेलु मुद्दों के अलावा कुछ सूझ नहीं रहा था उस समय मनोज कुमार फिल्मों में देशभक्ति के उत्साह के साथ आये। उनकी फिल्म पूरब और पश्चिम का गाना ‘जब जीरो दिया मेरे भारत ने’ आज भी बच्चे बच्चे की जुबान पर है।

मनोज कुमार ने देश भक्ति से ओतप्रोत इतनी फिल्में की कि लोग उन्हें प्यार से भारत कुमार बुलाने लगे। उनकी इस छवि का प्रभाव तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पर भी पड़ा। जब देश में अकाल और सीमा पर असुरक्षा की समस्याएँ जोरो पर थी तो शास्त्री जी ने मनोज कुमार से जय जवान जय किसान जैसे प्रशिद्ध नारे पर एक फिल्म बनाने की गुजारिश की तब मनोज कुमार ने फिल्म की ‘उपकार’।
आज मनोज कुमार का 83वां जन्मदिन है। एक समय था जब मनोज कुमार अपने दमदार अभिनय के दम पर पूरे सिनेमा जगत पर राज किया करते थे। लेकिन मनोज कुमार ने कभी नहीं सोचा था कि वो अभिनय करेंगे। मनोज कुमार का जन्म पाकिस्तान के खैबर पख्तुन्वा के एक शहर एबटाबाद में हुआ था, जो की विभाजन पूर्व भारत का एक हिस्सा था। उनका मूल जन्म नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी था। जब वह 10 साल के थे, तो उनके परिवार को विभाजन के कारण जधियाला शेर खान से दिल्ली जाना पड़ा था। उनका परिवार विजय नगर, किंग्सवे कैंप में शरणार्थियों के रूप में रहा और बाद में नई दिल्ली के पुराने राजेंद्र नगर इलाके में चले गये।
उनके फिल्मी करियर की बात करें तो मनोज कुमार की पहली फिल्म फैशन 1957 में आई जो चली नहीं। लेकिन 1962 में प्रदर्शित क्लासिक फिल्म “हरियाली और रास्ता” से उनके फिल्मी करियर का सितारा चमका। 1964 में उनकी एक ओर सुपरहिट फिल्म “वो कौन थी” प्रदर्शित हुयी। 1965 में ही मनोज कुमार की एक ओर सुपरहिट फिल्म “गुमनाम” भी प्रदर्शित हुयी। इन सभी फिल्मों से मनोज कुमार को एक अभिनेता के रूप में पहचान मिली लेकिन 1965 में भगत सिंह पर बनी फिल्म शहीद ने उनको स्टार बना दिया।

इसके बाद तो जैसे उन्हें सफलता की चाभी मिल गई हो। वो एक से बढ़कर एक सुपरहिट और देशभक्ति फिल्मे देते चले गये। मनोज कुमार की फिल्मों में ‘हरियाली और रास्ता’ (1962), ‘वो कौन थी’ (1964), ‘शहीद’ (1965), ‘हिमालय की गोद में’ (1965), ‘गुमनाम’ (1965), ‘पत्थर के सनम’ (1967), ‘उपकार’ (1967), ‘पूरब और पश्चिम’ (1969), ‘रोटी कपड़ा और मकान’ (1974), ‘क्रांति प्रमुख हैं। फिल्म ‘उपकार’ के लिये मनोज कुमार को नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया था।

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