चीन पर बाज की नजर- फ्रांस से राफेल इसी माह आयेंगे भारत, तैनात किये जायेंगे एलएसी पर

New Delhi : भारत पूर्वी लद्दाख के वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर चीन के साथ तनाव को लेकर हर कदम फूंक फूंक कर रख रहा है। भले चीन अपनी ओर से कितना भी आश्वासन दे रहा हो। भारत उसके आश्वासनों पर विश्वास कर अंधी दौड़ में शामिल नहीं है। केंद्र की मोदी सरकार सीमा और सुरक्षा से जुड़े हर मामले में गंभीरता से कार्रवाई कर रही है।
बहरहाल चीन के फिंगर प्वाइंटस और विवादित जगहों से हटने के आश्वासनों के बावजूद भारत अपनी सीमा की तैनाती को और मजबूत करने के प्रयासों में जुटा हुआ है। इस माह के अंत तक भारत को फ्रांस से राफेल विमान की खेप हासिल होगी। भारतीय सेना ने इन राफेल विमानों को एयरफोर्स के बेड़े में शामिल करते हुये एलएसी पर तैनात करने की तैयारी में है।

वैसे इस मसले पर रणनीति के लिये उच्चस्तरीय वार्ता का दौर जारी है। वायुसेना अध्यक्ष आरकेएस भदौरिया इस तैनाती को लेकर शीर्ष कमांडरों की कॉन्फ्रेंस करने जा रहे हैं। समाचार एजेंसी के मुताबिक इस हफ्ते 22 जुलाई से टॉप कमांडर्स की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस होगी। एयर चीफ मार्शल भदौरिया के साथ-साथ इस कॉन्फ्रेंस में सभी सात कमांडर इन चीफ मौजूद रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन से तनाव के बाद भारत ने सुखोई, मिराज और मिग के अलावा अपाचे, रूद्र तैनात किये गये हैं। यही से सारे विमान सेना क जरूरतों के मुताबिक आपरेशंस कर रहे हैं। इसके अलावा वास्तविक नियंत्रण रेखा की निगरानी भी कर रही है। अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में रात के वक्त भी उड़ान भर रहे हैं।
फ्रांस से इस महीने के आखिर तक अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमानों की डिलीवरी होनी निश्चित हुई है। राफेल अत्याधुनिक हथियारों से लैस है और इसके एयरफोर्स में शामिल होने के बाद पड़ोसी देशों की तुलना में भारतीय वायुसेना को बढ़त मिलेगी। ये लड़ाकू विमान अत्याधुनिक उपकरणों के साथ लंबी दूरी के हथियार जैसे एयर टू एयर मिसाइल गाइड करने में सक्षम हैं जो भारत को चीन और पाकिस्तान के मुकाबले बढ़त दिलायेंगे। केंद्र सरकार ने 60 हजार करोड़ की लागत से 36 राफेल विमान खरीदने का निर्णय लिया था।

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