2 लाख करोड़ के खजानेवाले श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर का मैनेजमेंट त्रावणकोर का शाही परिवार संभालेगा

New Delhi : श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और उसकी संपत्तियों पर अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है – मंदिर के मैनेजमेंट का अधिकार त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के पास बरकरार रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साबित हुआ है कि भगवान पद्मनाभ से परिवार के संबंध कितने अहम हैं। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे।

कोर्ट ने केरल उच्च न्यायालय के 31 जनवरी 2011 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें राज्य सरकार से श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का नियंत्रण लेने के लिए न्यास गठित करने को कहा गया था। न्यायमूर्ति यू.यू ललित की अगुवाई वाली पीठ ने कहा – अंतरिम कदम के तौर पर मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे। शीर्ष अदालत ने इस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। इनमें से एक याचिका त्रावणकोर शाही परिवार के कानूनी प्रतिनिधियों ने दायर की थी।
इस भव्य मंदिर के पास करीब दो लाख करोड़ रुपए की संपत्ति है। कोर्ट इस बात का फैसला भी करेगा कि क्या यह मंदिर सार्वजनिक संपत्ति है और इसके लिए तिरुपति तिरुमला, गुरुवयूर और सबरीमला मंदिरों की तरह ही देवस्थानम बोर्ड की स्थापना की जरूरत है या नहीं? अदालत इस बात पर भी फैसला दे सकती है कि मंदिर के सातवें तहखाने को खोला जाए या नहीं?
केरल हाईकोर्ट ने 2011 के फैसले में राज्य सरकार को पद्मनाभस्वामी मंदिर की तमाम संपत्तियों और मैनेजमेंट पर नियंत्रण लेने का आदेश दिया था। इस आदेश को पूर्व त्रावणकोर शाही परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में 8 साल से ज्यादा समय तक सुनवाई हुई। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने पिछले साल अप्रैल में इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट के निर्देश पर मंदिर के सातवें तहखाने को नहीं खोला गया था। तहखाने के दरवाजे को सिर्फ कुछ मंत्रों के उच्चारण से ही खोला जा सकता है। इस पर दो सांपों की आकृति बनी है। ये सांप दरवाजे की रक्षा करते हैं। इस दरवाजे को ‘नाग बंधम’ या ‘नाग पाशम’ मंत्रों से बंद किया गया है। इसे केवल ‘गरुड़ मंत्र’ का स्पष्ट और सटीक मंत्रोच्चार करके ही खोला जा सकता है। अगर इसमें कोई गलती हो गई तो जान जा सकती है। फिलहाल सातवें तहखाने की गुत्थी अनसुलझी ही है।
पद्मनाभ मंदिर को 6वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था। 1750 में मार्तंड वर्मा ने खुद को भगवान का सेवक यानी ‘पद्मनाभ दास’ बताते हुए अपना जीवन और संपत्ति उन्हें सौंप दी। 1947 तक त्रावणकोर के राजाओं ने केरल में राज किया। 2013 में उत्राटम तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा के निधन के बाद उनका परिवार और उनके प्राइवेट ट्रस्ट मंदिर की देखरेख कर रहे हैं।

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