New Delhi : चाइनीज डिप्लोमैट होउ यांगकी को वर्तमान में नेपाल में सबसे पावरफुल माना जा रहा है। नेपाल के प्रधानमंत्री के दफ्तर से लेकर आर्मी हेडक्वार्टर तक उनकी सीधी पहुंच है। नेपाल के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ पूर्णचंद्र थापा उनके करीबी माने जाते हैं। 13 मई को चीन की एम्बेसी में एक डिनर हुआ था। इसमें थापा चीफ गेस्ट थे। राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी, टूरिज्म मिनिस्टर योगेश भट्टराई भी यांगकी से मिलते रहे हैं।
As the young Chinese ambassador Hou Yanqi (@PRCAmbNepal), redefines diplomacy in #Kathmandu, she is seen as a key factor behind PM Oli's unexpected move to amend a map which includes disputed territories with #India.#nepal #NepalIndiaBorder
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— IANS Tweets (@ians_india) July 3, 2020
बहरहाल नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और सरकार संकट में है। ओली को चीन का करीबी माना जाता रहा है। यह एक बार फिर साबित भी हो गया है। होउ यांगकी ने उनसे मुलाकात कर मामला संभाला है। रविवार को उन्होंने पूरे दिन सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं से मुलाकात की। शुक्रवार को राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से मिली थीं। मई में भी ओली सरकार गिरने का खतरा था। तब भी होउ यांगकी ने विरोधी गुट के नेताओं से मुलाकात कर सरकार बचाने में अहम रोल अदा किया था।
ऐसे वक्त में जबकि चीन और भारत के बीच तनाव जारी है। चीन के लिये नेपाल में अपनी पसंदीदा सरकार होना काफी मायने रखता है। यही वजह है कि होउ यांगकी बहुत एक्टिव नजर आ रही हैं। रविवार को यांगकी पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल से मिलने उनके घर पहुंचीं।
बिद्या देवी भंडारी भले ही राष्ट्रपति हों लेकिन पार्टी में उनकी राय को तवज्जो दी जाती है।
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— AtheisticScorpio (@AtheisticScorp1) July 1, 2020
वहीं, माधव कुमार प्रधानमंत्री ओली के कट्टर विरोधी माने जाते हैं। यांगकी इन दोनों नेताओं को मनाकर ओली की कुर्सी बचाना चाहती हैं। नेपाल की टॉप लीडरशिप ही नहीं आर्मी तक उनकी सीधी पहुंच है।
नेपाल के नये नक्शे और भारत-नेपाल सीमा विवाद में भी यांगकी की भूमिका अहम मानी जा रही है। नक्शा विवाद के अलावा अब यांगकी ओली सरकार की मुसीबतें कम करने में लगी हुईं हैं। अप्रैल के शुरुआत में जब नेपाल में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे थे, तब चाइनीज डिप्लोमैट ने ही टेलीफोन पर नेपाल की राष्ट्रपति और चाइनीज प्रसीडेंट शी जिनिपंग की बात करवाई थी। यहीं नहीं 27 अप्रैल को चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर नेपाल की जनता को भरोसा दिलाया था कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए चीन हर कदम पर नेपाली नागरिकों की मदद करेगा।
I was interviewed by The Rising Nepal and Gorkhapatra Daily on bilateral relations, BRI, T&T Agreement, etc.
READ FULL TEXT:https://t.co/D6r4GK0iHA— Ambassador Hou Yanqi (@PRCAmbNepal) June 30, 2020
पिछले हफ्ते जब भारतीय मीडिया ने होउ को नक्शा विवाद में शामिल होने का आरोप लगाते हुए खबरें की थीं, तो होउ ने नेपाल के प्रमुख डायरीज द रायजिंग नेपाल और गोरखपत्र को 1 जुलाई को एक लंबा चौड़ा इंटरव्यू दिया था। जिसमें उन्होंने कालापानी सीमा विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि कुछ मीडिया समूह लोगों को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। कालापानी नेपाल और भारत के बीच का मुद्दा है। उन्होंने इसमें चीनी दखल होने से साफ इनकार कर दिया था।