New Delhi : भारत और चीन के बीच विवाद कम करने में रूस ने बड़ी भूमिका निभाई है। रूस अभी भी चीन पर दबाव बनाये हुये है। इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक 15 जून के बाद हालातों को और बिगड़ने नहीं देने में रूस ने अहम रोल अदा किया है। रूस खुलकर सामने तो नहीं आया लेकिन उसकी कोशिश के बाद ही चीन ने भारत के 10 जवानों को छोड़ा था, वर्ना हालात और बिगड़ सकते थे।
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— Economic Times (@EconomicTimes) July 6, 2020
15 जून की रात गलवान घाटी घटनाक्रम में चीन ने भारत के 10 जवानों को पकड़ लिया था। भारत के पास भी चीन के कुछ जवान थे। फिर रूस के कहने पर चीन जवान छोड़ने को राजी हुआ था। दरअसल, रूस ने 23 जून को एक मीटिंग रखी थी। इसमें रूस-इंडिया-चीन के विदेश मंत्रियों को हिस्सा लेना था। लेकिन 15 जून के बाद भारत ने साफ कह दिया – ऐसे हालातों में चीन से बातचीत नहीं हो पाएगी। इसपर रूस ने चीन से बात शुरू की। कहा – टेंशन को कम करने के लिए उसे भारतीय जवानों को छोड़ना चाहिए। रूस चाहता था कि तीनों देशों के बीच होनेवाली RIC पटरी से न उतरे।
रूस ने इस RIC के बाद बयान में कहा था – भारत और चीन को विवाद सुलझाना के लिए किसी तीसरे की जरूरत नहीं है। अब सामने आया है कि रूस ने इसलिए दोनों देशों के मुद्दे में बीच में न पड़कर सिर्फ शांति से कूटनीति का रास्ता अपनाया। RIC को करवाया ही इस मकसद के गया था कि भारत और चीन के बीच संबंध सही बने रहें जिससे पहले से चल रहे समझौते ठीक से चलते हैं।
चीनी बॉर्डर पर हालात सामान्य करने के लिये भारत की तरफ से पिछले महीने से कोशिशें जारी हैं। ड्रैगन इस वजह से चिढ़ा हुआ है क्योंकि भारत ने बॉर्डर पर अपनी तरफ सड़क निर्माण कार्य तेज किया हुआ है।