New Delhi : गलवान झील में गतिरोध वाली जगह से पांच किमी की दूरी पर सैनिकों को इकट्ठा करने वाली चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को अब अपने सैनिकों को वापस बुलाना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए करना होगा, क्योंकि झील के जल स्तर में इजाफा हुआ है। झील के किनारे में बाढ़ के हालात बन गये हैं।
एक वरिष्ठ सैन्य कमांडर ने कहा – अक्साई चीन क्षेत्र से आने वाली बर्फीले-ठंड के बाद गलवान घाटी बर्फ से ढंक गई थी जो तापमान में वृद्धि के कारण पिघल रही है और गलवान नदी का जल स्तर तेजी से बढ़ गया है। तेज गति से बर्फ पिघलने से नदी के तट की स्थिति खतरनाक हो गई है। उपग्रह और ड्रोन ने नदी के तट पर चीनी टेंटों के बढ़ने का संकेत दिया था।
5,000 PLA troops sent to #Pangong in April – CGTN#Chinese 🇨🇳 aimed at restraining India from carrying out any new construction beyond the confluence of the Shyok-Galwan river. China, it is believed, wants to expand its territory further to secure Pangong https://t.co/juMwRsWzM9
— Vengeance Is Mine! (@PromoterBoxing) July 5, 2020
भारत और चीन की सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को बीच पांच जून से शुरू गतिरोध को कम करने के लिए तीन राउंड बातचीत हो चुकी है। इस तरह की कवायद शुरू करने पर व्यापक समझौते भी हुए। लेकिन पहले समझौते के दस दिन बाद ही यानी 15 जून को गलवान की घटना हुई।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुाबिक सैन्य कमांडर ने कहा कि चीन के लिए गलवान, गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स और पैंगोंग त्सो में वर्तमान पोजिशन को बरकरार रखना कठिन होगा। उन्होंने कहा कि अगर चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति को बहाल नहीं करता है तो गतिरोध सर्दियों के महीनों में भी जारी रह सकता है।
रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों ने कहा – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख का दौरा करके बहुत स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने वाला नहीं है। वह दृढ़ता से हालात से निपटेगा और उसके सशस्त्र बल देश के भूभागों की रक्षा के लिए ठोस दृष्टिकोण अपना रहे हैं। यह भी कहा कि चीन लद्दाख, दक्षिण चीन सागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आक्रामक सैन्य मौजदूगी के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ता जा रहा है और समय आ गया है कि भारत हालात का फायदा उठाए।