New Delhi : सरकार ने कोरोना के बहुत हल्के यानी माइल्ड, प्रीसिम्टोमेटिक और एसिम्टोमेटिक मामलों के संदर्भ में होम आइसोलेशन के लिये संशोधित गाइडलाइन जारी की है। इस गाइडलाइन में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा है कि उन्हीं मरीजों को होम आइसोलेशन में भेजा जाएगा जिन्हें डॉक्टरों ने अस्पताल में भर्ती नहीं होने की जरूरत बताई है। जारी नई गाइडलाइन के मुताबिक, हल्के लक्षण या बगैर लक्षण वाले मरीज जिनको कोई दूसरी बीमारी नहीं है वो घर पर होम आइसोलेशन में रहते हुए अपना इलाज करा सकेंगे लेकिन इसके लिए पहले डॉक्टर की परमिशन लेनी जरूरी होगी।
In India, a doctor who treated #Covid19 patients was diagnosed with coronavirus herself.
After she recovered in hospital, she was allowed to return home.
The entire neighborhood was waiting for her — and did this.
— Shakthi #StayHomeSaveLives (@v_shakthi) July 2, 2020
गाइडलाइन में कहा गया है कि यदि होम आइसोलेशन में रह रहे मरीज को सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है। सीने में दर्द शुरू होता है या बोलने में तकलीफ होती है तो उनको तुरंत अस्पताल में आना होगा। यही नहीं 60 साल के ऊपर के मरीजों को अस्पताल में ही अपना इलाज कराना होगा। यही नहीं जिन्हें डायबिटीज, हाईपर टेंशन, कैंसर, किडनी, फेफड़ों से संबंधित गंभीर बीमारी है उनको भी अस्पताल में ही इलाज कराना होगा। सरकार ने साफ कहा है कि होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को परिवार के सदस्यों से बिल्कुल ही अलग थलग रहना होगा।
जारी गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि होम आइसोलेशन में रह रहे मरीज की देखभाल के लिए 24 घंटे एक केयर गिवर होगा। केयर गिवर मरीज के स्वास्थ्य के बारे में अस्पताल और मरीज के बीच सेतु का काम करेगा। केयर गिवर को चिकित्सक के परामर्श के आधार पर तय प्रोटोकॉल के तहत हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की खुराक लेनी चाहिए। होम आइसोलेशन में रह रहे मरीज के मोबाइल में आरोग्यसेतु ऐप डाउनलोड होना चाहिए। यही नहीं होम आइसोलेशन के दौरान इसे पूरी तरह सक्रिय होना चाहिए। नए दिशा निर्देशों में कहा गया है कि होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों में लक्षण दिखने के 10 दिनों के बाद और तीन दिन तक बुखार नहीं आने पर ही उनकी अवधि खत्म मानी जाएगी।