New Delhi : भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध जारी है। इस बीच सेना ने पश्चिमी मोर्चे पर भी निगरानी बढ़ा दी है ताकि पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को विफल किया जाये। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी है।
रक्षा मामलों के संसदीय स्थायी समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट ने आगाह किया है – चीन और पाकिस्तान मिलकर भारत के लिये खतरा पैदा कर सकते हैं। भारतीय वायु सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 2014 में संसदीय समिति को बताया था कि अगर चीन भारत के खिलाफ आक्रमक अभियान शुरू करता है तो पाकिस्तान भी भारत को अशांत करने की कोशिश करेगा।
हाल में हुई सैन्य गतिविधियों की जानकारी रखने वाले अधिकारी ने बताया – भारत के लिये इस समय दोनों मोर्चे पर युद्ध की वैसी स्थिति नहीं बनी हुई है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हमारे सुरक्षा बल हर खतरे का जवाब देने के लिये तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अभी दोनों मोर्चों पर युद्ध की स्थिति नहीं है, लेकिन हमें चीन और पाकिस्तान के साथ एक साथ निपटने के लिए सैन्य रूप से तैयार रहना होगा।
उत्तरी सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा (रिटायर) ने कहा- तीन परमाणु-हथियार संपन्न देश एक ही समय में युद्ध में नहीं जा सकते हैं। लेकिन चीन और पाकिस्तान के बीच गहरे सैन्य संबंध हैं। भारतीय सशस्त्र बलों को किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिये।
पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सेनाओं के बीच गतिरोध कम करने के प्रयासों के बीच 15 जून को गलवान घाटी में तीन घंटे तक दोनों सेनाओं के बीच चले खूनी संघर्ष में भारतीय सेना के एक कमांडिग अधिकारी (कर्नल) समेत 20 जवान शहीद हो गये थे। इस झड़प में 43 चीनी जवानों के मारे जाने की भी पुष्टि की गई थी, लेकिन चीन की तरफ से यह नहीं बताया गया है कि उसके कितने सैनिक हताहत हुये हैं।
भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध चल रहा है। काफी संख्या में चीनी सैनिक अस्थायी सीमा के अंदर भारतीय क्षेत्र में पैंगोंग सो सहित कई स्थानों पर घुस आए हैं। भारतीय सेना ने घुसपैठ पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए उनकी तुरंत वापसी की मांग की है। गतिरोध दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच पिछले कुछ दिनों में कई वार्ताएं हुई हैं। भारत और चीन का सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर है। चीन, तिब्बत के दक्षिणी हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है जबकि भारत इसे अपना अभिन्न अंग बताता है।