चीन को UN ने घेरा : हॉन्ग-कॉन्ग में चीन के दमन पर दुनिया ने उठाया सवाल, ड्रैगन पस्त हो गया

New Delhi : कोरोना वायरस महामारी में दुनिया को फंसा देखकर चीन भले ही अपने मंसूबों को आराम से अंजाम देने में लगा हो, पूरी दुनिया की नजरें उसकी हरकतों पर टिकी हैं। इसका हालिया उदाहरण संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के बयान में देखने मिला है। आयोग ने हॉन्ग-कॉन्ग में चीन के अत्याचार को लेकर चिंता व्यक्त की है। आयोग ने वहां हो रहे प्रदर्शनों को दबाने और उत्पीड़न के आरोपों पर चीन से सवाल किया है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका, ब्रिटेन की अपील पर इस मुद्दे पर अनौपचारिक चर्चा की गई थी।

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त के ऑफिस ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा है – संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र एक्सपर्ट्स ने पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से लगातार संपर्क किया है और चीन में मूलभूत आजादी को दबाए जाने को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि हॉन्ग-कॉन्ग विशेष प्रशासन में विरोध प्रदर्शनों और लोकतंत्र की वकालत को दबाया जाता है।
इसके साथ ही यह भी आरोप लगाया गया है कि पुलिस को अत्याधिक बलप्रयोग की भी इजाजत है और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ केमिकल एजेंट्स तक इस्तेमाल किए जाते हैं। यही नहीं, महिला प्रदर्शनकारियों के पुलिस स्टेशनों में प्रताड़ना और हेल्थ केयर वर्कर्स की प्रताड़ना के आरोप भी लगे हैं। चीन हॉन्ग-कॉन्ग पर पकड़ मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लाया है। इस पर काम करने के लिए उसने एक ब्यूरो भी खोलने का फैसला किया है।
अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस बारे में अनौपचारिक चर्चा का प्रस्ताव दिया था जिस पर चीन ने इसे अपना आंतरिक मुद्दा बताया था। हॉन्ग कॉन्ग में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों से चीनी सरकार घबराई हुई है। इस कानून के लागू हो जाने के बाद हॉन्ग कॉन्ग में विरोध प्रदर्शन करना आसान नहीं होगा।

हॉन्ग-कॉन्ग में वित्त से लेकर आव्रजन तक सभी सरकारी विभागों के निकाय सीधे पेइचिंग की केंद्र सरकार के प्रति जवाबदेह होंगे। इस कानून को लेकर चीन पर अर्ध-स्वायत्त हॉन्ग-कॉन्ग के कानूनी और राजनीतिक संस्थानों को कमजोर करने के आरोप लगे हैं। बता दें कि हॉन्ग-कॉन्ग ब्रिटिश शासन से चीन के हाथ 1997 में ‘एक देश, दो व्यवस्था’ के तहत आया और उसे खुद के भी कुछ अधिकार मिले हैं। इसमें अलग न्यायपालिका और नागरिकों के लिए आजादी के अधिकार शामिल हैं। यह व्यवस्था 2047 तक के लिए है।

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