समुद्र में अमेरिका और भारत ने चीन का चौतरफा घेराव किया, पहाड़ों पर भी चीन के हौसले पस्त

New Delhi : कोरोना वायरस पर दुनिया को अंधेरे में रखने की वजह से घिरा चीन अब अपनी आक्रामकता को लेकर फंस गया है। लद्दाख के पहाड़ों पर उसके नापाक मंसूबों के सामने भारतीय जांबाजों की चुनौती है तो दूसरी तरफ प्रशांत महासागर में अमेरिकी नौसेना के तीन जहाजों की तैनाती से ड्रैगन की टेंशन बढ़ गई है। ऊपर से आज अमेरिका के विदेश मंत्री ने साफ कर दिया है कि अमेरिकी सेना की मौजूदगी एशिया में बढ़ाई जा रही है। बीजिंग में बैठकर खुराफात की प्लानिंग करने वाले अब एक पल लद्दाख के बारे में सोचते हैं तो दूसरे ही पल उनके दिमाग में अमेरिकी जहाज तैरने लगते हैं। प्रशांत महासागर में इससे पहले तीन अमेरिकी जहाज तीन साल पहले उतरे थे, जब नॉर्थ कोरिया से टेंशन चल रहा था।

हालांकि, अमेरिकी नौसेना के जहाजों की तैनाती भारत-चीन सीमा पर तनाव की वजह से ही नहीं हुई है, लेकिन यह चीन के बड़े रणनीतिक गुना-भाग का हिस्सा जरूर बन गया है। इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है – भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया और फिलीपीन जैसे देशों के लिए चीन से बढ़ रहे खतरे का मुकाबला करने के लिए अमेरिका अपने बलों की वैश्विक तैनाती की समीक्षा कर रहा है जिससे कि ”उचित स्थानों” पर इसकी मौजूदगी सुनिश्चित हो सके।
नेशनल सिक्यॉरिटी अडवाइजरी में हाल ही में कार्यकाल पूरा करने वाले नौसेना एक्सपर्ट वाइस-एडमिरल अनिल चोपड़ा ने कहा – नेवी के मूवमेंट से चीजें आगे बढ़ती हैं। जब आप टकराव वाले इलाकों में उन्हें ले जाते हैं तो यह एक संदेश भेजता है। चीन को इस बात की चिंता होगी कि ये क्या कर सकते हैं नाकि वास्तव में ये क्या करेंगे ही। इसे ध्यान में रखना होगा। एक कैरियर का यह मुख्य बिंदु है, यह कुछ हद तक अनिश्चितता बताता है।
एक वाहक यूएस प्रशांत तट से दूर है, जबकि दूसरा फिलीपींस के पास है, यूएसएस थियोडोरे रूजवेल्ट वियतनाम की तरफ बढ़ रहा है। पेंटागन के एशिया-पैसिफिक सेंटर फॉर सिक्यॉरिटी स्टडीज के प्रफेसर मोहन मलिक कहते हैं- इस लोकेशन का मतलब है कि युद्ध की स्थिति में इन जहाजों को मलक्का जलडमरूमध्य और बंगाल की खाड़ी में तैनात किया जा सकता है।
यूएसएस रूजवेल्ट एक सुपर कैरियर है, जोकि भारत और चीन के जहाजों से तीन गुना ज्यादा बड़ा है। इसके युद्ध समूह में क्रूजर, विध्वंसक स्क्वैड्रन और पनडुब्बी होंगे। मलिक कहते हैं- पूर्वी हिंद महासागर में विमानवाहक पोतों को भेजकर अमेरिका भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान को दो मोर्चे खुलने से रोक सकता है।

मार्च में अमेरिकी युद्धपोत कोरोना वायरस की चपेट में आ गए थे। हिंद और प्रशांत महासागर में केवल एक फंक्शनल जहाज बच गया था। इस दौरान चीन ने ताइवान के क्षेत्र में नेवी और एयरफोर्स की घुसपैठ बढ़ा दी और हांगकांग पर पकड़ मजबूत कर ली। चीन ताइवान पर हमला ना कर दे, इस आशंका को देखते हुए अमेरिका ने वायरस मुक्त हो चुके जहाजों और 8 परमाणु पनडुब्बियों को प्रशांत महासागर में एक्टिव कर दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *