खुफिया एजेंसियों ने किया सावधान- ये धोखेबाज चीन है, कहीं कर न दे बॉयोलॉजिकल अटैक, सतर्क रहो

New Delhi : चीन भारत पर बॉयोलॉजिकल अटैक कर सकता है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय दबाव में वह सीधे तौर पर हमला न कर अन्य भारत विरोधी देशों के माध्यम से भी ऐसा करा सकता है। कोरोना वायरस को लेकर चीन की भूमिका पहले ही प्रश्नों के घेरे में है। तमाम दावों के बीच अभी तक इसकी कोई वैक्सीन विकसित नहीं हुई है। हालांकि रसायनिक और जैविक खतरों पर शोध करने वाली डीआरडीओ की ग्वालियर स्थित प्रयोगशाला (डीआरडीई) के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि जैविक हमले से भी निपटने के लिये सेना के पास पर्याप्त संसाधन हैं।

भारत वर्तमान में पड़ोसी मुल्कों की भूमिका से अशांत है। कूटनीतिक और सैन्य घेराबंदी से चीन बौखलाया हुआ है। सीमा पर पाकिस्तान भी रह रह कर गोलाबारी कर रहा है। नेपाल का रवैया भी ठीक नहीं है। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया – अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर चीन जैविक हमले जैसी कायराना हरकत कर सकता है। पिछले दिनों सेना ने एक ड्रोन को मार गिराया था। ड्रोन के जरिये भी बायोलॉजिकल अटैक संभव है।
ग्वालियर स्थित डीआरडीई के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है – सेना इस तरह के खतरों से निपटने के लिये तैयार है। डीआरडीओ की अलग-अलग प्रयोगशालाओं ने खास उपकरण जैसे न्यूक्लीयर कैमिकल बायोलॉजिकल वारफेयर सूट, विशेष मुखौटे आदि तैयार किये हैं। जिनका उपयोग सैनिक कर रहे हैं। समय-समय पर उन्हें विशेष ट्रेनिंग भी दी जाती है।

हमले के दौरान सबसे पहले यह पता लगाया जाता है कि किस प्रकार के जीवाणु ने हमला किया है। इसके बाद उसे निष्क्रिय करने पर जोर रहता है। फिर डीकंटेमिनेट किया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए डीआरडीओ द्वारा खास कैमिकल एजेंट मॉनिटर तैयार किये गये हैं। एनएसजी, एसपीजी जैसे विशेष दस्ते इनका बखूबी उपयोग कर रहे हैं।

महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमित मोहन वार्ष्णेय का कहना है – बायोलॉजिकल वारफेयर का खतरा बहुत बढ़ा हुआ है। इस तरह के हमले से सीधे सेना को बड़ा नुकसान पहुंचाने का लक्ष्य होता है। ऐसा अटैक सैनिकों के सांस लेने के तंत्र को सर्वाधिक ध्वस्त करता है। सैनिकों के संक्रमित होने पर उन्हें रसद पहुंचाने वाले स्टाफ और बाद में सरहद से लौटने पर छावनी और संपर्क में आने वाली सिविल आबादी को भी नुकसान होता है।

डॉ. वार्ष्णेय के अनुसार- बायोलॉजिकल अटैक के लिए वर्तमान में तीन कैटेगरी में जीवाणु, विषाणुओं को विभाजित किया गया है। कैटेगरी ए में एंथ्रेक्स, क्लास्ट्रीडियम बाटूलाइनम, स्मॉल पॉक्स वहीं, कैटेगरी बी में रिकीटीशियल जनित बीमारी वाले ब्रूसैलोसिस, क्लास्ट्रीडियम परफिरेंजेंस, क्लेमाइडिया बिबरियो कॉलेरी हैं और कैटेगरी सी में जेनिटिकली इंजीनियर्ड नीफा और हंता जैसे वायरस रखे गये हैं। कुछ रेडियो एक्टिव पदार्थों से भी बॉयोलॉजिकल वेपन तैयार किये जाते हैं। स्मॉल पॉक्स से जैविक हथियार तैयार करने की आशंका अधिक है। भारत में यह खत्म हो चुका है।

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