New Delhi : 21 जून को इस वर्ष का पहला चूड़ामणि सूर्य ग्रहण लगने वाला है। सुबह 10 बजे से शुरू होने वाला सूर्य ग्रहण दोपहर बाद 2.30 पर खत्म होगा। शनिवार रात मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए। ज्योतिषविदों का दावा है कि 1090 वर्ष बाद ऐसा सूर्य ग्रहण होगा, इसमें कंकणाकृति सूर्य ग्रहण मृगशिरा में होगा। पंडित सुधा चरण झा कहते हैं कि भारत में इस ग्रहण को सुबह 10.20 बजे से 2.30 बजे तक देखा जा सकेगा। 10.20 बजे से 2.02 बजे के बीच खग्रास स्थिति में सूर्यग्रहण को बिना दूरबीन के नहीं देखा जा सकेगा। दिन में अंधेरा छाया रहेगा। पिछली बार दिसंबर में सूर्य ग्रहण विश्व के लिये कई परेशानी लेकर आया था। कोरोना वायरस का जन्म हुआ और सभी देशों पर इसका असर हुआ है।
Annular solar eclipse will be visiblehttps://t.co/tGfefxB7fB
— All India Radio News (@airnewsalerts) June 20, 2020
ज्योतिष के हिसाब से एक साथ तीन ग्रहण होना शुभ संकेत नहीं माना जाता है। 21 जून का सूर्य ग्रहण वायु तत्व की राशि पर आ रहा है तो इसके प्रभाव से वातावरण में अस्थिरता ज्यादा रहेगी। वायु यात्रा आने वाले कुछ समय और तक प्रभावित होने वाली है।
अगले माह में 5 जुलाई को मांद्य चंद्र ग्रहण होगा। इससे पहले 5 जून को भी मांद्य चंद्र ग्रहण हुआ था। इस तरह 30 दिन में ये 3 ग्रहण पड़ रहे हैं और शास्त्रों के अनुसार भी इस को अच्छा नहीं माना जाता। महाभारत में भी इसका जिक्र है कि जब भी दो तिथि पर, दो नक्षत्र पर इतने कम समय में ग्रहण पड़ जाए, वो आम लोगों के लिए, देश के लिए, वातावरण के लिए अच्छा नहीं होता। क्योंकि, सूर्य आत्मकारक है और चंद्र मनकारक है। इन पर जब भी ग्रहण लगेगा, कहीं न कहीं, कुछ न कुछ तो अवसाद आना ही है।
This is because the #moon The #annular phase of #eclipse will be visible in #Dehradun #Haryana parts of #Rajasthan in #India
Earlier, another annular solar eclipse was seen from south parts of India on26Dec. 2019.The next eclipse #solareclipse from India will be seen on21May 2031 pic.twitter.com/Ajxv88HzoV— Shashank S Mishra… (@shashanks09_m) June 20, 2020
यह भी सही है कि कुछ लोगों को ग्रहण के कारण फायदा भी होता है। कुछ लोग जो भावनाओं में फंसे हुए होते है, उनके लिए ताकत मिल जाती है, वे इनसे बाहर निकल आते हैं या फ़िर जो काम रुके हुए होते हैं, उनके लिए एक विशेष बल इस समय पर मिलता है।
हर ग्रहण के समय सूतक लगता है, उसके बाद सब कुछ नया होता है। इसी प्रकार सूर्यदेव भी ग्रहण के बाद नए होंगे तो यह संकेत है कि कोरोना बीमारी का पतन इसके बाद आना चाहिए। यह ग्रहण बुध की मिथुन राशि में हो रहा है। मृगशिरा नक्षत्र और आर्द्रा नक्षत्र इस में संलग्न होंगे। आद्रा नक्षत्र भी मूल नक्षत्र का ही साथी है, रूद्र उसके देवता है। मृगशिरा नक्षत्र में सूर्य का होना थोड़ा राहत की बात तो नहीं कह सकते, लेकिन कम से कम ये दर्शाता है कि कोई नई बीमारी नहीं आने वाली है। मृगशिरा नक्षत्र के देवता सोम हैं। सोम यानी चंद्र, सोम को हमारे जीवन में एक ऐसा तत्व भी बताया जाता है जो हर बीमारी से बचाता है। संभव है इस ग्रहण के बाद शायद कोई वैक्सीन सामने आए जिससे कोरोना वायरस का अंत शुरू हो जाए।
Parts of north India to witness full annular solar eclipse on June 21 https://t.co/VE83HtJwG4 pic.twitter.com/Lbjg77dVFq
— NDTV (@ndtv) June 20, 2020
बुध की मिथुन राशि होने के कारण व्यापार वर्ग के लिए कुछ मुश्किलें होने वाली है। भारत की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ सकता है। ये काल पुरुष की तीसरी राशि है और केतु भी नवम स्थान में है। तीसरा स्थान कुछ नया शुरू करने का होता है। नवम स्थान में केतु के रहने की वजह से हमारे अन्न आदि भंडारण पर थोड़ा संकट आ सकता है और उसके लिए हमें तैयार रहना पड़ेगा। मृगशिरा मंगल का नक्षत्र है, राहु भी इसमें संलग्न है, राहु और मंगल विस्फोटक स्थिति भी पैदा कर सकते है। हो सकता है कि कहीं न कहीं कुछ हिंसा हो। बाढ़ आ सकती है, हमारी खेती प्रभावित हो सकती है।