New Delhi : गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ तनाव के बाद सेना ने युद्ध के नियम (रूल ऑफ इंगेजमेंट) में एक अहम बदलाव किया है। इसके तहत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात सभी कमांडरों को इस बात की पूरी आजादी दी गई है कि वे हालात को संभालने के लिए सामरिक स्तर पर कोई भी कार्रवाई कर सकते हैं। नाम ना बताने की शर्त पर दो वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। एक अधिकारी ने कहा – एलएसी पर तैनात सभी कमांडर अब हथियारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध के नियम से बाध्य नहीं होंगे और उन्हें पूरा अधिकार होगा कि वे स्थितियों से निपटने के लिये सभी संसाधनों का उपयोग करें।
Good news. Indian Army has given complete freedom to Commanders on the ground at Line of Actual Control with China to act in any extraordinary situation at tactical level. India has changed rules of engagement after the deadly Galwan Valley clash in which 20 bravehearts died.
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) June 20, 2020
पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सेनाओं के बीच गतिरोध कम करने के प्रयासों के बीच सोमवार 15 जून को गलवान घाटी में तीन घंटे तक दोनों सेनाओं के बीच गुत्थम गुत्थी हुई। कमांडिंग अफसर समेत 20 जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी। मामला गंभीर हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार 19 जून को सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों से कहा था – सेनाओं को यथोचित कार्रवाई के लिये पूरी छूट दी गई है। हमारी सेनाएं, सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम हैं। भारत, शांति और मित्रता चाहता है, लेकिन अपनी संप्रभुता की रक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा – हमने जहां एक तरफ सेना को अपने स्तर पर उचित कदम उठाने की छूट दी है, वहीं दूसरी तरफ डिप्लोमैटिक माध्यमों से भी चीन को अपनी बात दो टूक स्पष्ट कर दी है। निश्चित तौर पर, चीन द्वारा एलएसी पर जो किया गया है, उससे पूरा देश आहत है, आक्रोशित है। हम सभी देश की सीमाओं की रक्षा में दिन-रात लगे हमारे वीर जवानों के साथ चट्टान की तरह खड़े हैं।
लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन के साथ टकराव में भारतीय सैनिकों के पास हथियार होते हुये भी उन्होंने भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय समझौतों के कारण इनका इस्तेमाल नहीं किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा- भारतीय सैनिकों ने हथियारों का उपयोग करने से परहेज किया क्योंकि वे 1996 और 2005 के दो द्विपक्षीय समझौतों से बंधे थे। 1996 के समझौते के अनुसार कोई भी पक्ष दूसरे पक्ष के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमता का उपयोग नहीं करेगा। वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ सीमा क्षेत्रों में दोनों ओर से तैनात किसी भी सशस्त्र बल को उनके संबंधित सैन्य ताकत के हिस्से के रूप में उपयोग नहीं किया जायेगा।
BBC News – Galwan Valley: China accuses India of 'deliberate provocation' https://t.co/krtRbI2jR0
— Ernie Schell (@ernieschell) June 20, 2020
अबे बुड़्बक बिहार के लोगों ने पीछले चुनाव में तुझे तेरी औक़ात दीखा दी थी!
चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के फेंके हुए रोटी पर पलने वाले तुम जैसे दलालों की इस देश में कोई वूकत नहीं है !
फ़ंडिंग रुक गयी है ना?इसीलिए मरे हुए सांप की तरह तड़प रहे हो ! पीछे मुड़कर देख तेरा बाप खड़ा है! https://t.co/Y3Q1Sa8rBf— Ashoke Pandit (@ashokepandit) June 20, 2020
भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध चल रहा है। काफी संख्या में चीनी सैनिक अस्थायी सीमा के अंदर भारतीय क्षेत्र में पैंगोंग सो सहित कई स्थानों पर घुस आये हैं। भारतीय सेना ने घुसपैठ पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए उनकी तुरंत वापसी की मांग की है। गतिरोध दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच पिछले कुछ दिनों में कई वार्ताएं हुई हैं। भारत और चीन का सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर है। चीन, तिब्बत के दक्षिणी हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है जबकि भारत इसे अपना अभिन्न अंग बताता है।