New Delhi : भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के अवमानना के आरोप में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ही रजिस्ट्री से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है – मई 2017 के आदेश के खिलाफ माल्या की अपील अदालत के सामने लिस्ट क्यों नहीं की गई? कोर्ट ने अपील को को तीन साल बाद लिस्ट किये जाने पर कड़ी फटकार लगाई। मामले में कोर्ट ने रजिस्ट्री से जुड़े अधिकारियों का नाम भी पूछा है। माल्या की पुनर्विचार याचिका पर जस्टिस यू ललित और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने गौर किया। पीठ ने आदेश दिया कि रजिस्ट्री अपना जवाब दो हफ्ते में दे।
Breaking: Supreme Court summons Registry to explain why review plea filed by Vijay Mallya was not listed for 3 years #VijayMallya #SupremeCourt @TheVijayMallyahttps://t.co/5dq0fC7SAg
— Bar & Bench (@barandbench) June 19, 2020
माल्या ने 2017 के उस फैसले पर पुनर्विचार करने की याचिका दाखिल की है जिसमें उन्हें संपत्ति की जानकारी छिपाने का आरोप है। चार करोड़ अमेरिकी डॉलर की रकम माल्या के बच्चों के खाते में ट्रांसफर किए जाने के मामले में माल्या को अवमानना का दोषी ठहराया था। यह याचिका स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अगुवाई में एक कंसोर्टियम ने दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में माल्या की ओर से पुर्नविचार याचिका तय समय में दाखिल की गई थी, लेकिन इसको तीन साल तक कोर्ट में लिस्ट नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूति अशोक भूषण की पीठ ने 16 जून को माल्या की पुनर्विचार याचिका पर गौर किया और शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को तीन साल तक इस पुनर्विचार याचिका से संबंधित फाइल देखने वाले अधिकारियों के नाम सहित सारा विवरण पेश करने का निर्देश दिया। न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किए गए 16 जून के आदेश के अनुसार, ‘हमारे सम्मुख पेश रिकार्ड के अनुसार पुनर्विचार याचिका पिछले तीन साल से न्यायालय के समक्ष पेश ही नहीं की गई। पुनर्विचार याचिका में उठाए गए मुद्दों पर गौर करने से पहले हम रजिस्ट्री को यह स्पष्ट करने का निर्देश देते हैं कि पिछले तीन साल में यह याचिका संबंधित न्यायालय के समक्ष पेश क्यों नहीं की गई।