Delhi : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ झड़प में कम से कम 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गये हैं। एएनआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। सूत्रों ने बताया – यह संख्या बढ़ सकती है। चीन को भी भारी क्षति पहुंची है। हालांकि चीन ने अपने सैनिकों को ले कोई पुष्टि नहीं की है। सोमवार रात लद्दाख में बातचीत करने गई भारत की सेना पर चीन की सेना ने हमला कर दिया। गोली एक भी नहीं चली, लेकिन चीन के सैनिकों ने पत्थरों, लाठियों और धारदार चीजों से हमला बोल दिया। तीन घंटे तक यह झड़प चली।
इधर भारत-चीन सीमा पर झड़प की खबरों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से एक-एक पल की जानकारी ली। इससे पहले रक्षा मंत्री ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हाई लेवल मीटिंग की।
Indian, Chinese troops disengage in Galwan area after violent face-off
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— ANI Digital (@ani_digital) June 16, 2020
बैठक में चीन सीमा पर मौजूदा स्थिति को लेकर चर्चा की गई है। सेना ने मंगलवार को एक बयान में कहा – गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के जवानों के पीछे हटने की प्रक्रिया के दौरान सोमवार रात को झड़प हुई। इधर प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन को सख्त लहजे में जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अगर चीन ने हाई लेवल पर बनी आपसी सहमति का ध्यान रखा होता तो दोनों तरफ के सैनिकों की जान नहीं जाती।
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार शाम करीब सवा आठ बजे बयान जारी किया। मंत्रालय ने कहा- 15 जून की रात चीन के सैनिकों ने लद्दाख में मौजूदा हालात को बदलने की एकतरफा कार्रवाई की। इसके चलते दोनों पक्षों में हिंसक झड़प हुई। दोनों पक्षों को नुकसान हुआ है। इस नुकसान को टाला जा सकता था, अगर चीनी पक्ष ईमानदारी से हाई लेवल पर बनी सहमति का पालन करता।
And exposed to sub-zero temperatures in the high altitude terrain have succumbed to their injuries, taking the total that were killed in action to 20. Indian Army is firmly committed to protect the territorial integrity and sovereignty of the nation: Indian Army (2/2) https://t.co/5duc0Jlfwb
— ANI (@ANI) June 16, 2020
मंत्रालय ने कहा- बॉर्डर मैनेजमेंट को लेकर भारत का नजरिया बेहद जिम्मेदाराना रहा है। भारत की गतिविधियां हमेशा एलएसी के दायरे के भीतर ही होती हैं। हम चीन की तरफ से भी ऐसी ही उम्मीद करते हैं। हम मानते हैं कि सीमाई क्षेत्रों में शांति बनाये रखना जरूरी है। मतभेद हों तो उन्हें बातचीत के जरिये सुलझाया जाये। लेकिन, हम मजबूती से यह बात साफ करना चाहते हैं कि हम भारत की संप्रभुता और अखंडता को लेकर प्रतिबद्ध हैं।