Delhi : भारत-चीन सीमा पर झड़प की खबरों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से एक-एक पल की जानकारी ली। इससे पहले रक्षा मंत्री ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हाई लेवल मीटिंग की। बैठक में चीन सीमा पर मौजूदा स्थिति को लेकर चर्चा की गई है। सेना ने मंगलवार को एक बयान में कहा – गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के जवानों के पीछे हटने की प्रक्रिया के दौरान सोमवार रात को झड़प हुई। इधर प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन को सख्त लहजे में जवाब दिया है।
At least 20 Indian soldiers killed in the violent face-off with China in Galwan valley in Eastern Ladakh. Casualty numbers could rise: Government Sources pic.twitter.com/PxePv8zGz4
— ANI (@ANI) June 16, 2020
विदेश मंत्रालय ने कहा – अगर चीन ने हाई लेवल पर बनी आपसी सहमति का ध्यान रखा होता तो दोनों तरफ के सैनिकों की जान नहीं जाती।
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार शाम करीब सवा आठ बजे बयान जारी किया। मंत्रालय ने कहा- 15 जून की रात चीन के सैनिकों ने लद्दाख में मौजूदा हालात को बदलने की एकतरफा कार्रवाई की। इसके चलते दोनों पक्षों में हिंसक झड़प हुई। दोनों पक्षों को नुकसान हुआ है। इस नुकसान को टाला जा सकता था, अगर चीनी पक्ष ईमानदारी से हाई लेवल पर बनी सहमति का पालन करता।
Given its responsible approach to border management, India is very clear that all its activities are always within the Indian side of the LAC. We expect the same of the Chinese side: Ministry of External Affairs https://t.co/1ad3Z7q0aR
— ANI (@ANI) June 16, 2020
मंत्रालय ने कहा- बॉर्डर मैनेजमेंट को लेकर भारत का नजरिया बेहद जिम्मेदाराना रहा है। भारत की गतिविधियां हमेशा एलएसी के दायरे के भीतर ही होती हैं। हम चीन की तरफ से भी ऐसी ही उम्मीद करते हैं। हम मानते हैं कि सीमाई क्षेत्रों में शांति बनाये रखना जरूरी है। मतभेद हों तो उन्हें बातचीत के जरिये सुलझाया जाये। लेकिन, हम मजबूती से यह बात साफ करना चाहते हैं कि हम भारत की संप्रभुता और अखंडता को लेकर प्रतिबद्ध हैं।