New Delhi : पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध को दूर करने के लिए भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच बुधवार को ‘सकारात्मक’ बातचीत हुई। मेजर जनरल स्तर की साढ़े चार घंटे से ज्यादा चली वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने यथास्थिति बहाल करने और गतिरोध वाले सभी स्थानों पर काफी संख्या में जमे चीनी सैनिकों को तुरंत हटाए जाने पर जोर दिया। मेजर जनरल स्तर की मीटिंग पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के भारतीय हिस्से में हुई। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया- वार्ता सकारात्मक रही और दोनों पक्षों ने सकारात्मक माहौल में विचारों का आदान-प्रदान किया। दोनों सेनाएं बातचीत से गतिरोध को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि पैंगोंग झील विवाद का विषय बनी हुई है।
After talks between military commanders, India and China held the Major General-level talks to find a resolution to the ongoing dispute in Eastern Ladakh.
Read @ANI Story | https://t.co/evGMnUQ0zb pic.twitter.com/e3V6PUACWZ
— ANI Digital (@ani_digital) June 10, 2020
जैसा कि पूर्व में रिपोर्ट किया गया था, भारत ने मांग की है कि चीन इस साल अप्रैल की शुरुआत में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ यथास्थिति बनाये रखेगा। इसका मतलब यह है कि चीनियों को गालवान घाटी में एलएसी के साथ सैन्य टुकड़ी को काफी पीछे ले जाना होगा और बड़ा हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र और पैंगोंग झील के फिंगर क्षेत्र में बदलाव को छोड़ना होगा।
गतिरोध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म करने के लिए दोनों सेनाओं ने गलवान घाटी ओर हॉट स्प्रिंग के कुछ इलाकों में सीमित संख्या में अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया जिसके एक दिन बाद यह वार्ता हुई है। अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया- भारतीय पक्ष ने अपने विचार स्पष्ट रूप से रखे। चीनी पक्ष ने भी अपनी स्थिति रखी।
#China and #India have been effectively communicating via diplomatic and military channels over issues concerning the western sector of the China-India border, during which a positive consensus has been reached: Hua Chunying, Chinese FM spokesperson pic.twitter.com/UYdo1dxoVC
— Global Times (@globaltimesnews) June 10, 2020
बहरहाल, दोनों पक्ष पैंगोंग त्सो, दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक जैसे कुछ इलाकों में अब भी आमने-सामने हैं। सैन्य सूत्रों ने मंगलवार को कहा – दोनों सेनाएं गलवान घाटी के पेट्रोलिंग पॉइंट 14 और 15 तथा हॉट स्प्रिंग इलाके में ‘पीछे हटी’ हैं। उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष दोनों इलाकों में डेढ़ किलोमीटर तक पीछे चला गया है। पैंगोंग त्सो में 5 मई को हिंसक संघर्ष के बाद भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। गतिरोध को समाप्त करने के लिए पहले गंभीर प्रयास के तहत लेह स्थित 14 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बत सैन्य जिले डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन के बीच 6 जून को विस्तृत बातचीत हुई थी।
चीन ने बुधवार को कहा कि 6 जून को दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच बनी ‘सकारात्मक सहमति’ को भारत और चीन ने लागू करना शुरू कर दिया है। दोनों पक्षों की सेना के पीछे हटने और अपने पहले की स्थिति में लौटने की खबर के बारे में पूछने पर चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बीजिंग में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दोनों पक्ष सीमा पर स्थिति को सामान्य बनाने के लिए कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘सीमा पर स्थिति के बारे में हाल में भारत और चीन के बीच कूटनीतिक एवं सैन्य स्तर पर प्रभावी वार्ता हुई और सकारात्मक सहमति बनी।’ प्रवक्ता ने कहा, ‘दोनों पक्ष सीमा पर स्थिति को सामान्य बनाने के लिए इस सहमति के आधार पर कदम उठा रहे हैं।
India wants China to de-induct its 10,000 troops, heavy weapons deployed along the LAC
Read @ANI Story | https://t.co/BiZw8STaNz pic.twitter.com/1d6ms3rtMY
— ANI Digital (@ani_digital) June 10, 2020
शनिवार को सैन्य स्तर पर वार्ता होने से एक दिन पहले दोनों देशों के बीच राजनयिक स्तर पर वार्ता हुई थी जिस दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की संवेदनशीलता और चिंताओं का सम्मान करते हुए शांतिपूर्ण चर्चा के माध्यम से ‘मतभेदों’ को दूर करने का प्रयास करने पर सहमति बनी थी। मौजूदा गतिरोध के शुरू होने की वजह पैंगोंग त्सो झील के आसपास फिंगर क्षेत्र में भारत की तरफ से एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण पर चीन का तीखा विरोध है। इसके अलावा गलवान घाटी में दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी मार्ग को जोड़ने वाली एक और सड़क के निर्माण पर चीन के विरोध को लेकर भी गतिरोध है।
पैंगोंग त्सो में फिंगर क्षेत्र में सड़क को भारतीय जवानों के गश्त करने के लिहाज से अहम माना जाता है। भारत ने पहले ही तय कर लिया है कि चीनी विरोध की वजह से वह पूर्वी लद्दाख में अपनी किसी सीमावर्ती आधारभूत परियोजना को नहीं रोकेगा। दोनों देशों के सैनिक बीते 5 और 6 मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र में आपस में भिड़ गए थे। 5 मई की शाम को चीन और भारत के 250 सैनिकों के बीच हुई यह हिंसा अगले दिन भी जारी रही। इसके बाद 9 मई को उत्तर सिक्किम सेक्टर में भी इस तरह की घटना हुई थी। भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी को लेकर है। चीन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है। दोनों पक्ष कहते रहे हैं कि सीमा मसले का अंतिम समाधान जब तक नहीं निकलता, सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाये रखना जरूरी है।
China, India reach 'positive consensus' on border issue: Beijing
Read @ANI Story | https://t.co/lm2Bell3CR pic.twitter.com/hZMpUTaCHw
— ANI Digital (@ani_digital) June 10, 2020
चीन के शहर वुहान में 2018 में ऐतिहासिक अनौपचारिक शिखर-वार्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने द्विपक्षीय संबंधों के विकास के हित में भारत-चीन सीमा के सभी क्षेत्रों में अमन-चैन बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया था। यह शिखर-वार्ता डोकलाम में दोनों सेनाओं के बीच 73 दिन तक चले गतिरोध के बाद हुई थी। इस गतिरोध ने दोनों एशियाई महाशक्तियों के बीच युद्ध की आशंकाओं को पैदा कर दिया था। 6 जून को हुई वार्ता में दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि एलएसी पर शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वुहान शिखर सम्मेलन में मोदी और शी द्वारा लिए गए निर्णयों का पालन किया जाएगा।