गूगल CEO ने याद किये संघर्ष के दिन- पिता की एक साल की कमाई मेरे 1 प्लेन टिकट पर खर्च हो गये

New Delhi : गूगल के CEO सुंदर पिचाई ने एक ग्रेजुएशन सेरेमनी में इस साल ग्रेजुएट हो रहे स्टूडेंट्स के लिये उम्मीद भरी बातें कहीं। रविवार 7 जून को हुई इस सेरेमनी के दौरान पिचाई ने अपने संघर्ष के दिनों को याद किया। इस ग्रेजुएशन सेरेमनी को यूट्यूब पर डीयर क्लास ऑफ 2020 के टाइटल के साथ लाइव स्ट्रीम किया गया था। उन्होंने अपनी स्पीच में स्टूडेंट्स को आशावादी बनने और उत्सुक रहने की सलाह दी।
अपने संबोधन में सुंदर पिचाई ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा कि जब मैं 27 साल का था तो भारत छोड़कर अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिव​र्सिटी में पढ़ने आया था। उन्होंने कहा- मेरे पिता ने अपनी एक साल की कमाई के बराबर पैसे मेरे टिकट पर खर्च किये थे, ताकि मैं स्टैनफोर्ड में पढ़ सकूं। उन्होंने बताया कि वो मेरा पहला हवाई सफर था।

पिचाई ने बताया – जब मैं पहली बार कैलिफोनिर्या में लैंड किये तो वहां वैसी स्थिति नहीं थी, जिसकी उन्होंने कल्पना की थी। अमेरिका महंगी जगह थी। उस समय घर फोन करने पर प्रति मिनट 2 डॉलर खर्च करना पड़ता था जो काफी ज्यादा था। मेरे पास तकनीक की सुविधा नहीं थी। 10 साल की उम्र तक तो हमारे पास टेलीफोन नहीं था। वहीं आज के बच्चों पर सभी तकनीकी साधन उपलब्ध हैं जिनका उपयोग करके वे आगे बढ़ सकते हैं।
उन्होंने कहा – अधीरता को कभी खत्म नहीं होने देना चाहिये इसी से दुनिया में अगली क्रांति आयेगी। इससे आप वो कर सकेंगे जिसे मेरी जेनरेशन के लोग सोच भी नहीं सकते हैं। क्लाइमेट चेंज को लेकर आप हमारी जेनरेशन द्वारा उठाए कदम से हताश हो सकते हैं। लेकिन इसे लेकर बेचैन न हो काम करते रहें। इससे आप उस स्थति में पहुंच पाएंगे, जिसकी पूरी दुनिया को जरूरत है। हमारा इतिहास भी हमे आशावादी रहने और किसी भी हालत में उम्मीद न छोड़ने की सीख देता है। इसलिए उम्मीद बनाए रखें।

सुंदर पिचाई तमिलनाडु के चेन्नई में पले-बढ़े हैं और आईआईटी से पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनवर्सिटी से मास्टर्स किया और फिर व्हॉर्टन स्कूल से एमबीए किया है। 2004 में उन्होंने गूगल में नौकरी शुरू की थी। इस सेरेमनी में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बाराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा ने भी संबोधित किया। इसके अलावा इसमें सिंगर लेडी गागा और नॉबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई भी शामिल रहीं।

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