New Delhi : देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कोरोना वायरस इन्फेक्शन के बाद अपने-आप ठीक हो चुका है। यह बात सामने आई है इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के ताजा सर्वे में। आबादी के भीतर कोरोना की पहुंच और असर का पता लगाने के लिए यह सीरोलॉजिकल सर्वे किया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुरुआती नतीजे हाटस्पॉट शहरों की एक-तिहाई आबादी में संक्रमण फैला था। यह मरीज खुद-ब-खुद रिकवर हो गए। उनके शरीर से ऐंटीबॉडीज मिली हैं। सर्वे की शुरुआती रिपोर्ट कैबिनेट सचिव और प्रधानमंत्री कार्यालय से साझा की गई है।
सीरोलॉजिकल सर्वे में देश के 70 जिलों से करीब 24 हजार लोगों के सैंपल लिए गए थे। सीरोसर्वे में, खास ऐंटीबॉडीज की पहचान के लिए ब्लड सैंपल लिए जाते हैं। इस बार टेस्ट IgG ऐंटीबॉडीज का पता लगाने के लिए था जो SARS-CoV-2 से लड़ती हैं। यह इन्फेक्शन के 14 दिन बाद शरीर में मिलने लगती हैं और महीनों तक ब्लड सीरम में रहती हैं। हाई केसलोड वाले जिलों के कई कंटेनमेंट एरियाज में 15 से 30 फीसदी आबादी को इन्फेक्शन हो चुका है।
अभी 8 जिलों का डेटा और कम्पाइल करना है। बाकी जिलों का डेटा दिखाता है कि कई कंटेनमेंट एरियाज में इंन्फेक्शन साइज वहां मिले केसेज के 100 गुने से 200 गुना ज्यादा है। इनमें मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद और इंदौर जैसे शहर हैं। यानी जो केसेज रिपोर्ट हो रहे हैं, असल में कोरोना उससे कहीं ज्यादा आबादी में फैल है। ICMR रिपोर्ट कहती है कि टियर 2 और टियर 3 शहरों में वायरस का प्रसार कम रहा है।
ब्लड सैंपल का ऐंटीबॉडी टेस्ट बड़ी अहम जाानकारी देता है। इससे शरीर में ऐंटीबॉडीज का पता चलता है, जो बताती हैं कि आप वायरस के शिकार हुए थे या नहीं। ऐंटीबॉडीज दरअसल वो प्रोटीन्स हैं जो इन्फेक्शंस से लड़ने में मदद करती हैं। सीरो सर्वे के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरॉलजी (NIV) की बनाई कोविड कवच एलिसा किट्स इस्तेमाल की गई हैं।