New Delhi : फिलीपीन्स ने अमेरिका के साथ अपने सैन्य संबंधों को बढ़ाने का फैसला किया है। फिलीपीन्स के राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटर्टे ने अमेरिका के साथ दो दशक पुराने विजिटिंग फोर्सेज एग्रीमेंट को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। यह फैसला चीन के लिये बड़ा झटका है। 2016 में सत्ता में आने के बाद से रोड्रिगो डुटर्टे का झुकाव चीन की तरफ ज्यादा था। जिस कारण अमेरिका से फिलीपीन्स की तल्खियां भी बढ़ी। पर कोरोना ने हालात बदल दिये।
फिलीपीन्स के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका ने मनीला के पास स्थित अपने सैन्य बेस को वियतनाम में शिफ्ट करने का ऐलान कर दिया था। लेकिन, कोरोना वायरस के कारण बदली परिस्थितियां, देश में चीन का व्यापक विरोध और बिगड़ती अर्थव्यवस्था ने रोड्रिगो डुटर्टे को अपने कदम पीछे खींचने को मजबूर कर दिया। जिसके बाद से उन्होंने अमेरिका के साथ सैन्य बेस को बनाये रखने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किया।
CNN: "Philippines suspends termination of the Visiting Forces Agreement with the US, DFA Secretary Teddy Locsin announces on social media"
Letter says "in light of political and other developments in the region" 🇵🇭 🇺🇸 https://t.co/Fq9kRFfBor
— Tanvi Madan (@tanvi_madan) June 2, 2020
विशेषज्ञों ने फिलीपीन्स के इस यूटर्न को साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते प्रभाव से जोड़ा है। साउथ चाइना सी से दुनिया का 30 फीसदी व्यापार होता है। चीन पूरे साउथ चाइना सी पर ही अपना दावा करता है। जबकि उसके दावे को वियतनाम, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और ताइवान नकारते रहे हैं। चीन ने पिछले एक दशक में कई कृत्रिम द्वीपों का निर्माण कर अपनी विस्तारवादी रणनीति को खुलेआम दर्शाया है।
चीन के दक्षिण साउथ चाइना सी में दावों के खिलाफ मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और इंडोनेशिया ने संयुक्त राष्ट्र में कई राजनयिक नोट भी दाखिल किए हैं। इतना ही नही चीन ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अपने सैन्य जहाजों के जरिेए बाकी देशों के परिवहन और मछली पकड़ने वाली नौकाओं के खिलाफ कार्रवाई की है। फरवरी में ही चीन के एक युद्धपोत ने फिलीपीन्स के एक फिग्रेट पर लेजर गन तान दी थी।
फिलीपीन्स चीन के साथ गठबंधन करने का उद्देश्य अपने देश के हितों की रक्षा और चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करना है। क्योंकि,फिलीपीन्स यह जानता है कि सैन्य और आर्थिक शक्ति के मामले में वह चीन के सामने कुछ नहीं है। मनीला और वाशिंगटन के राजनयिकों ने विजिटिंग फोर्सेज एग्रीमेंट को फिर से लागू करने में बड़ी भूमिका निभाई है।