New Delhi : भारत ने शुक्रवार 29 मई को अमेरिका से कहा – पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सैन्य गतिरोध को सुलझाने के लिए वह मौजूदा द्विपक्षीय तंत्रों का इस्तेमाल कर रहा है। यह वॉशिंगटन को लगातार दूसरे दिन स्पष्ट संदेश है कि सीमा विवाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश भारत को स्वीकार्य नहीं है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने टेलीफोन पर हुई वार्ता के दौरान अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क टी एस्पर को मुद्दे पर भारत की स्थिति से अवगत कराया।
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AP Explains: What’s behind latest India-China border tension— Charles R. Smith🔹 (@softwarnet) May 29, 2020
भारत और चीन की सेनाओं में तनातनी के बीच ट्रंप ने बुधवार 27 मई को कहा था कि वह दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हैं। विदेश मंत्रालय ने ट्रंप की पेशकश को असल में खारिज करते हुए गुरुवार 28 मई को कहा कि भारत सीमा विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए चीन के साथ चर्चा कर रहा है।
चीन ने भी ट्रंप की पेशकश को खारिज किया और कहा – दोनों देश वार्ता के जरिए अपने मतभेदों को उचित रूप से सुलझाने में सक्षम हैं और किसी तीसरे पक्ष की मदद की आवश्यकता नहीं है। सूत्रों ने बताया कि सिंह ने एस्पर को अवगत कराया कि स्थिति को सुलझाने के लिए मौजूदा द्विपक्षीय तंत्रों का इस्तेमाल किया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने साझा सुरक्षा हित के क्षेत्रीय घटनाक्रमों पर चर्चा की। इसमें यह भी कहा गया कि अमेरिकी पक्ष के आग्रह पर टेलीफोन पर वार्ता हुई।
इसमें कहा गया, उन्होंने विभिन्न द्विपक्षीय रक्षा सहयोग समझौतों पर प्रगति की समीक्षा की और हमारी रक्षा भागीदारी को और बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। ट्रंप ने बृहस्पतिवार को भी मध्यस्थता करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है तथा मोदी बड़ी तनातनी पर अच्छे मूड में नहीं हैं।
इसके कुछ घंटे बाद सरकार के शीर्ष सूत्रों ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रही सैन्य तनातनी के मुद्दे पर मोदी से बात करने के ट्रंप के दावे को खारिज किया। पूर्वी लद्दाख में पैंगोग त्सो, गलवान घाटी, देमचोक और दौलत बेग ओल्डी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच तीन सप्ताह से गतिरोध जारी है जिसे 2017 में हुए डोकलाम गतिरोध के बाद सबसे बड़ी तनातनी माना जा रहा है।
China and India are capable of properly resolving the issues through dialogue and consultation: Chinese foreign ministry spokesman
— Press Trust of India (@PTI_News) May 29, 2020
तनाव तब उत्पन्न हुआ जब चीन ने पैंगोंग त्सो झील के आसपास फिंगर क्षेत्र में भारत द्वारा बनाई जा रही एक महत्वपूर्ण सड़क का कड़ा विरोध किया। इसके साथ ही उसने गलवान घाटी में दारबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी सड़क का भी विरोध किया। पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ गई जब पांच मई की शाम पैंगोंग त्सो में दोनों देशों के लगभग 250 सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई। इसके बाद उत्तरी सिक्किम में भी 9 मई को इसी तरह की घटना हुई।