New Delhi : कोरोना महामारी के बीच लॉकडाउन के चलते प्रवासियों को हो रही दिक्कतों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अब तक 91 लाख प्रवासियों को शिफ्ट किया जा चुका है। 80 फीसदी प्रवासी उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं। कोर्ट ने कहा कि ट्रेनों और बसों से सफर कर रहे प्रवासी मजदूरों से किसी तरह का किराया ना लिया जाये। यह खर्च राज्य सरकारें ही उठायें। कोर्ट ने आदेश दिया कि फंसे हुए मजदूरों को खाना मुहैया कराने की व्यवस्था भी राज्य सरकारें ही करें। इस मसले पर अगली सुनवाई अब 5 जून को होगी।
Uttar Pradesh and Bihar account for over 80 per cent of migrants. 91 lakh migrants shifted so far: Solicitor General Tushar Mehta tells Supreme Court during hearing on migrant labourers matter. https://t.co/YGIi8Am12H
— ANI (@ANI) May 28, 2020
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने गुरुवार को मामले पर सुनवाई की। इस दौरान बेंच ने कहा – ट्रेन और बस से सफर कर रहे प्रवासी मजदूरों से कोई किराया ना लिया जाये। यह खर्च राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें उठायें। स्टेशनों पर खाना और पानी राज्य सरकारें मुहैया करवायें और ट्रेनों के भीतर मजदूरों के लिए यह व्यवस्था रेलवे करे। बसों में भी उन्हें खाना और पानी दिया जाये। देशभर में फंसे मजदूर जो अपने घर जाने के लिए बसों और ट्रेनों के इंतजार में हैं, उनके लिए भी खाना राज्य सरकारें ही मुहैया करवाये। मजदूरों को खाना कहां मिलेगा और रजिस्ट्रेशन कहां होगा। इसकी जानकारी प्रसारित की जाये। राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को देखें और यह भी निश्चित करें कि उन्हें घर के सफर के लिए जल्द से जल्द ट्रेन या बस मिले। सारी जानकारियां इस मामले से संबंधित लोगों को दी जायें।
देश के विभिन्न भागों में फंसे प्रवासी मजदूरों की दयनीय हालत और उनकी समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को स्वत: संज्ञान लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र, राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को नोटिस भेजते हुए 28 मई तक जवाब देने के लिए कहा था। कोर्ट ने पूछा था कि उनकी स्थिति में सुधार के लिए आखिर क्या कदम उठाये गये हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों पर सुनवाई के दौरान कहा- पैदल चल रहे मजदूरों को जल्द सारी आश्रय स्थल पर ले जाएं और उन्हें सारी सुविधाएं दें। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमें इस बात की चिंता है कि प्रवासी मजदूरों को घर वापस जाने के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हमने नोटिस किया है कि रजिस्ट्रेशन की प्रकिया, ट्रांसपोटेशन के साथ-साथ उनके खाने-पीने के इंतजाम में काफी खामियां हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को घर भेजने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है।
Supreme Court hearing a matter relating to migrant labourers: SC says, we are concerned with the difficulties of migrants trying to get to their native place. There are several lapses that we've noticed in the process of registration,transportation&provision of food&water to them pic.twitter.com/1wKI0IcqeQ
— ANI (@ANI) May 28, 2020
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा – सरकारों को तुरंत प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचाने के लिए यात्रा, ठहरने और खाने की व्यवस्था तुरंत होनी चाहिए। इस काम में एजेंसियों के बीच तालमेल जरूरी है।
जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की बेंच ने मीडिया रिपोर्ट्स और मजदूरों की बदहाली पर मिल रही चिट्ठियों के आधार पर संज्ञान लिया था। कोर्ट ने कहा था कि पैदल घर लौट रहे प्रवासियों के लिए रास्ते में खाने-पीने के इंतजाम नहीं होने की शिकायतें मिल रही हैं।