New Delhi : कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बीच परेशान कामगारों का ट्रेन से घर लौटना भी दर्दनाक सिलसिला हो गया है। ज्यादातर कामगारों और श्रमिकों के हाथ में पैसे नहीं हैं कि वे रास्ते में पानी-खाना खरीद सकें। कहीं कहीं स्टेशन पर पानी और खाना मुहैया कराया जा रहा है, लेकिन वो इतना नहीं है कि मजदूरों का पेट भर सके। तो हो ये रहा है कि आधे और एक लीटर पानी के लिये दर्जनों मजदूर आपस में भिड़ जा रहे हैं। एक पैकेट खाने के लिये बवाल मच जा रहा है। खाने के सामान की लूटपाट की घटनायें आम होती जा रही हैं।
A video of Itarsi Railway Station in has gone viral, wherein #MigrantWorkers travelling on 1869 #ShramikSpecialTrain could be seen looting food packets on Sunday morning @ndtv #covid1948 #Covid_19india #coronavirus #lockdown pic.twitter.com/91gArNIAUD
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) May 25, 2020
This is what we have reduced our #MigrantLabourers to.
We have left them to die, starve and have even refused water to them.
This scene from the Prayagraj junction is a grim reminder of how we as a nation has failed labourers.
Video via @arvindcTOI pic.twitter.com/FtS8xhgHVZ— Saurabh Sharma (@Saurabhsherry) May 25, 2020
25 मई की सुबह करीब 8:05 बजे मध्य प्रदेश के इटारसी जंक्शन पर ऐसा ही नजारा दिखा। 1869 श्रमिक स्पेशल एक्सप्रेस के यात्रियों ने खाने के पैकेट के लिये छीनाझपटी शुरू कर दी। प्रवासी श्रमिकों को खाने की सामान को लेकर छीनाझपटी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। ट्रेन में सवार प्रवासी मजदूरों को देने के लिए स्टेशन के प्लेटफार्म पर एक ट्रॉली में ब्रेड के पैकेट रखे थे। पूरी ट्रेन के यात्री इस पर झपट पडे़। 24 मई को कानपुर में भी इसी तरह की वारदात हुई थी। ट्रेन अहमदाबाद से आ रही थी और बिहार जा रही थी।
#Coronavirus – Mumbai becomes city in India to register 1000 deaths today. As a Mumbaikar, this is a day of unimaginable sorrow & sadness. My condolences to each of the 1000 patients families. Om Shanti!!🙏
— Adv. Ashish Shelar – ॲड. आशिष शेलार (@ShelarAshish) May 25, 2020
इस बीच एक दिल दहला देनेवाला मामला भी सामने आया है। एक परिवार जो स्पेशल ट्रेन से सूरत से बिहार आ रहा था, ने पूरे रास्ते अपने बच्चों को प्यास बुझाने के लिये बाथरूम का गंदा पानी पिलाया। जेब में एक भी रुपया नहीं था कि वह पानी की बोतल खरीद सकें। पटना में दो पुलिस के जवानों को जब पीड़ा सुनाई तो उनका कलेजा पिघल गया। उन्होंने दानापुर स्टेशन पर न सिर्फ खाने पीने का सामान दिया बल्कि नगद रुपये भी दिये।
An Odisha migrant was singing happily after hearing that he is about to board Shamik Special Train from Redhills ORGN Migrant camp (Tiruvallur District) tommrrow.#TNCoronaUpdate #Odisha #MigrantWorkers #MigrantLabourers #migrants #OdishaFightsCorona pic.twitter.com/RzEUbFSPQ5
— Jaikar Prabhu (@loyolite_jaikar) May 25, 2020
हिंदुस्तान न्यूज पेपर की एक रिपोर्ट के मुताबिक मोहम्मद सलाउद्दीन, उसकी पत्नी और तीन बच्चों की हालत इस सफर से खराब हो गई है। सूरत में दाने-दाने को मोहताज थे। ट्रेन चली तो वहां से निकल लिये। सूरत से लेकर पटना तक कोरोना काल में उन्हें दुश्वारियां ही मिली हैं। पहले तो सूरत में उन्होंने कई दिनों तक भूखे पेट रात बिताये। इसके बाद रही सही कसर ट्रेन ने दूर कर दी। सलाउद्दीन ने कहा- सूरत से ट्रेन चली तो बोगी में बहुत भीड़ थी। एक दम मारामारी की स्थिति थी। छोटे बच्चों को लेकर संक्रमण के इस काल में घर तक जाना बड़ी चुनौती थी। भीड़ के कारण डर लग रहा था कि बच्चे कैसे संक्रमण से बच पायेंगे। ट्रेन में भी न तो खाना की व्यवस्था थी और न ही पानी की।
गुरुग्राम रेलवे स्टेशन से मणिपुर को रवाना हुए प्रवासियों को भाई-बहन ने गुल्लक तोड़कर बांटे गिफ्ट।@DC_Gurugram @PMOIndia @cmohry @mlkhattar @IRCTCofficial @PiyushGoyal @BJP4Manipur @gurgaonpolice @cdgurugram @sudhirsinglabjp #coronavirus #COVIDー19 #lockdown #MigrantLabourers pic.twitter.com/i0KmgXdPUx
— $ud@π$h@n सुदर्शन झा (@0001sudarshan) May 25, 2020
सुपौल के रहने वाले मोहम्मद सलाउद्दीन सूरत में साड़ी की फैक्ट्री में काम करते हैं। गांव के ही दो चार और परिवार साथ में रहता है। साड़ी की कंपनी में काम करता है। होली की छुट्टी में वह सभी घर आये थे और फिर वापस काम पर सूरत चले गये। काम शुरु ही हुआ था कि लॉकडाउन हो गया और वह फंस गये। लॉकडाउन के दौरान पूरा पैसा खर्च हो गया। पैसा खर्च होने के बाद पूरा परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया।
Politics https://t.co/5pInw3p6I5 via @wordpressdotcom@life4nation @noconversion @VHPDigital #MigrantLabourers #blogging
— the nationalist post (@life4nation) May 25, 2020
सलाउद्दीन ने बताया – रास्ते में अगर पानी और खाने का सामान दिया जाता था तो वह छीनाझपटी में ही बर्बाद हो जाता था। अगर दस बोतल पानी आता था तो पचास लोग उसपर टूट पड़ते थे। ऐसे में पानी का कभी ढक्कन खुल जाता था तो कभी बोतल ही टूट जाती थी।