New Delhi : नेपाल ने चीन के लिये रास्ता बनाना शुरू कर दिया है। यह नेपाल की इंडिया को भड़काने की सबसे करीबी कोशिश है। बहाना नेपाल और चीन के बीच व्यापार बढ़ाने का है, लेकिन इस बहाने 12 साल पहले रोकी गई सड़क का निर्माण फिर से शुरू कर दिया है। भारत के इलाकों को अपने आधिकारिक मैप में दिखाने के बाद अब यह दूसरी कार्रवाई है जिससे चीन के बढ़ावे पर नेपाल भारत को भड़काने की कोशिश कर रहा है।
Amid tension with India, Nepal restarts work on border road after 12 years to facilitate trade with Chinahttps://t.co/HC1ojffl0r
— Gen Panwar B S🇮🇳 (@GenPanwar) May 24, 2020
नेपाल ने अब भारतीय सीमा से लगी एक रोड पर 12 साल बाद काम शुरू करा दिया है। यह रोड उत्तराखंड के धारचूला जिले से होकर गुजरती है। करीब 130 किलोमीटर लंबी धारचूला-टिनकर रोड का 50 किलोमीटर का हिस्सा उत्तराखंड से लगा हुआ है। इस प्रोजेक्ट की अनुमति 2008 में दी गई थी। मकसद था, टिनकर पास के जरिये नेपाल और चीन के बीच व्यापार को बढ़ावा देना। रोड का बाकी बचा हिस्सा अब नेपाल की सेना पूरा करेगी।
नेपाल को अब इस रोड की याद शायद इसीलिये आई है क्योंकि भारत ने धारचूला से लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रोड का 8 मई को उद्घाटन किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को तवाघाट-लिपुलेख मार्ग का उद्घाटन किया था। उन्होंने कहा था कि इससे कैलाश मानसरोवर जाने के लिए पहले से कम वक्त लगेगा।
As tension mounts between Nepal and India over border issue, China cautions both against unilateral action #Nepal #TodayInNepal #NepNews247 https://t.co/ZasoODwF5n
— NepNews247 (@nepnews247) May 19, 2020
रोड को अप्रूव हुए 12 साल हो गए मगर सिर्फ 43 किलोमीटर रोड ही बन सकी थी। इस रूट पर ना सिर्फ टेरेन बेहद खतरनाक है बल्कि मौसम का भी कोई भरोसा नहीं रहता। लगातार नुकसान होता देख कॉन्ट्रैक्टर ने भी काम छोड़ दिया था। नेपाल सरकार का यह मानना था कि इस रोड के बन जाने से ना सिर्फ व्यापार बढ़ेगा, बल्कि तीर्थयात्रियों और टूरिस्ट्स की संख्या भी बढ़ेगी।