New Delhi : रूस से 5 अरब डॉलर की एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने के कारण भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों की आशंका अभी भी बनी हुई है। भारत को प्रौद्योगिकियों और प्लेटफॉर्मों के लिए रणनीतिक प्रतिबद्धता देनी होगी। अक्तूबर 2018 में एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किये थे। अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि अगर भारत इस सौदे पर आगे बढ़ेगा तो उसे ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट’ के तहत अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।
The possibility of US sanctions on India for buying the #S400 missile system from #Russia remains on the table, a top American diplomat has said, asserting that New Delhi will have to make a strategic commitment to technologies and platforms.#USIndiahttps://t.co/B0uqZJSqhY
— ET Defence (@ETDefence) May 21, 2020
बहरहाल भारत ने मिसाइल प्रणाली के लिए पिछले साल रूस को तकरीबन 80 करोड़ डॉलर का पहला भुगतान किया था। एस-400 लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली रूस की सबसे आधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली है। दक्षिण और मध्य एशिया मामलों का प्रभार संभाल रहीं निवर्तमान प्रधान उप सहायक विदेश मंत्री एलिस वेल्स ने वॉशिंगटन डीसी स्थित एक थिंक टैंक से बुधवार (20 मई) को कहा – सीएएटीएसए संसद के लिए एक नीतिगत प्राथमिकता बनी हुई है जहां इसे लागू करने की आपने मजबूत मांग और सैन्य बिक्री से रूस को होने वाले आर्थिक फायदे को लेकर चिंता देखी है कि वह इसका इस्तेमाल पड़ोसी देशों की संप्रभुता को और भी कमतर करने के लिए कर सकता है।
सीएएटीएस एक कठोर कानून हैं। इसके तहत अमेरिका ने रूस पर पाबंदियां लगा रखी हैं। इस कानून के तहत उन देशों पर दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है जो रूस से रक्षा सामान खरीदते हैं। वेल्स ने भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा के एक सवाल पर कहा- सीएएटीएसए अभी भी मुद्दा है, यह विचार से हटा नहीं है। इसे रूसी कोण से देखने की बजाय, मैं समझती हूं कि ज्यादा अहम विमर्श यह होना चाहिये कि अब जब भारत उच्चतर स्तर की प्रौद्योगिकीय प्रणालियां अपनाने की तरफ बढ़ रहा है, यह सचमुच एक सवाल बन गया है कि भारत किस व्यवस्था के तहत संचालन करना चाहता है।
Russias anti missile (S300 & S400) shooting down Israelis missiles in Syria. Turkey recently acquired this technology and we should also get it ASAP . pic.twitter.com/7vlHgJUdIO
— Imran Ahmad (@ImranInc) September 25, 2019
उन्होंने एटलांटिक काउंसिल की एक ऑनलाइन चर्चा में कहा- वे कैसे अपनी प्रणालियों को एक-दूसरे से संवाद कराना चाहते हैं? एक खास मसले पर भारत को प्रौद्योगिकियों और मंचों के प्रति एक प्रकार से प्रतिबद्धता तय करनी होगी और हम समझते हैं कि हमारे पास सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकियां और मंच हैं। इसके साथ ही वेल्स ने भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा रिश्तों का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा – हमने अपने रक्षा कारोबार में बहुत प्रगति की है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के बाद द्विपक्षीय कारोबार अब 20 अरब डॉलर के पार जा रहा है। मैं समझती हूं कि एक समन्वित नीतिगत बदलाव लाकर भारत को सशस्त्र मानवरहित वायु वाहन जैसी सर्वाधिक आधुनिक प्रौद्योगिकियों की पेशकश करने का श्रेय इस सरकार को जाता है।