New Delhi : ब्रिटेन के सबसे बड़े COVID-19 वैक्सीन प्रोजेक्ट को सत्यापित करने के लिये ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने टेस्ट किये हैं। वहां के शोधकर्ताओं ने शुरुआत में बंदरों के समूह पर यह टेस्ट किये। इसमें बेहतरीन सफलता भी मिली है। इस दौरान पाया गया कि यह टेस्ट काम कर रहा है। टेस्ट में शामिल शोधकर्ताओं ने कहा कि वैक्सीन ने रीसस मैकाक बंदरों की प्रतिरक्षा प्रणाली को घातक वायरस से बचाने के लिए बेहतर संकेत दिये हैं। कोई निगेटिव रियेक्शन के संकेत नहीं दिखाये हैं। अब इस वैक्सीन का ट्रायल इंसानों पर भी चल रहा है। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए इस समय 100 से अधिक टीकों पर काम चल रहा है।
Today is the anniversary of the world's first vaccination.
British doctor Edward Jenner invented the smallpox vaccine, a medical breakthrough that 224 years later could help us beat #coronavirus.
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इसके शोधकर्ताओं ने रिपोर्ट में बताया – टेस्ट के दौरान छह बंदरों को कोरोना का भारी भरकम डोज देने से पहले उन्हें वैक्सीन लगाया गया। इसका अलग-अलग बंदरों पर अलग प्रभाव देखने को मिला। वैक्सीन लगाने के बाद उनमें से कुछ बंदरों के शरीर में 14 दिनों में एंटीबॉडी विकसित हो गई और उनमें कुछ में 28 दिन में। एक सिंगल टीकाकरण की खुराक भी फेफड़ों को नुकसान को रोकने में प्रभावी थी। वे अंग जो वायरस से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते थे, वे सही सलामत रहे। इस टीके ने वायरस को शरीर में खुद की कॉपियां बनाने और बढ़ने से रोका लेकिन यह भी पाया गया कि कोरोना अभी भी नाक में सक्रिय था।
शोधकर्ताओं ने पाया कि कोरोना वायरस के उच्च स्तर के संपर्क में आने के बाद छह बंदरों में से किसी को भी वायरल निमोनिया नहीं हुआ। इसके अलावा इस बात का कोई संकेत नहीं था कि वैक्सीन ने जानवरों को अधिक कमजोर बना दिया हो। वर्तमान में मानव टेस्ट से गुजरने वाले टीके के लिए उत्साहजनक संकेतों के रूप में इस विकास का स्वागत किया गया है, लेकिन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह देखा जाना चाहिये कि क्या यह मनुष्यों में उतना ही प्रभावी है?
किंग्स कॉलेज लंदन के फार्मास्यूटिकल मेडिसिन में विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. पेनी वार्ड ने कहा कि ये रिजल्ट मनुष्यों में वैक्सीन के चल रहे क्लीनिकल ट्रायल का समर्थन करते हैं, जिसके रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जेनर इंस्टीट्यूट में वैक्सीन की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट जो रिसर्च का नेतृत्व कर रही हैं ने पहले कहा है कि उन्हें वैक्सीन में आत्मविश्वास की बड़ी डिग्री हासिल है। बेशक हमें इसका टेस्ट करना होगा और मनुष्यों से डेटा प्राप्त करना होगा। हमें यह प्रदर्शित करना होगा कि वास्तव में काम करता है। व्यापक आबादी में कोरोना वायरस के संक्रमित होने से रोकने के लिए वैक्सीन का उपयोग करना होगा।
ब्रिटिश ड्रग्स की दिग्गज कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी टीम के साथ मील के पत्थर के रूप में साझेदारी की है और कहा है कि यदि ट्रायल सफल रहा तो साल के अंत तक 10 करोड़ खुराक बनाई जा सकती है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में मेडिसिन के प्रोफेसर जॉन बेल ने कहा कि हम अब यह देखने के लिए इंतजार कर रहे हैं कि क्या टीकाकरण करवाने वाले लोगों को अब बीमारी नहीं है, इसलिए यह अगला कदम है।