New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को प्रवासी कामगारों, मजदूरों को उनके घर वापस भेजने की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने ये याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा- अदालत अखबार की खबरों के आधार पर हस्तक्षेप नहीं कर सकती, मामले में राज्यों को कार्रवाई करनी चाहिये। भला हम इसे कैसे रोक सकते हैं। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि मजदूरों की घर वापसी के लिये ट्रांसपोर्टेशन मुहैया कराया गया है, उन्हें अपनी बारी का इंतजार करना चाहिये।
I am in Dharavi right now. Close to three thousand migrant workers standing in queue. They say it is difficult to survive a day more in this big city. Starvation is killing them. I have not seen a more disturbing sight in a long time pic.twitter.com/qwx4LkS5kt
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) May 14, 2020
जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुआई वाली 3 जजों की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या मजदूरों को सड़क से जाने से रोका जा सकता है? इस पर मेहता ने कहा कि राज्य सरकारें मजदूरों को उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था कर रही हैं। ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं। इसके बावजूद भी लोग निकल रहे हैं। वे इंतजार करने लिए तैयार नहीं हैं। उन्हें रोकने के लिए लिए ताकत का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, इसके विरोध में हालात बिगड़ने का खतरा है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई में मेहता ने यह दलील भी दी कि हर राज्य सरकार के बीच यह समझौता हुआ है कि हर मजदूर को उसके नियत स्थान तक भेजा जाएगा। बेंच ने कहा कि हम लोगों को कैसे रोक सकते है? राज्य सरकारों को भी इस पर जरूरी कदम उठाने चाहिए।
प्रवासी मजदूरों को जान जोखिम में डालते हुए भूखे पेट ही सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है। भूखे-प्यासे ये प्रवासी मजदूर मजबूरन जंगलों, रेल पटरियों और खेतों के रास्ते से ही पैदल सफर कर रहे है। जिससे उनके साथ कभी भी कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है। बल्कि कई सड़क दुर्घटनाओं में मजदूर हताहत भी हुये हैं।
‘How can we stop it if they sleep on railway tracks?’ SC rejects plea seeking shelter for migrants https://t.co/mAPzBpklC9
The Supreme Court said it was impossible to monitor who is walking and not walking, and said: ‘It is for the states to decide’.
— scroll.in (@scroll_in) May 15, 2020
लॉकडाउन ने सबसे अधिक कमर अगर किसी की तोड़ी है तो वे दिहाड़ी मजदूर हैं। जैसे ही लॉकडाउन घोषित हुआ, तो उनका रोजगार छिन गया और वे बेरोजगार हो गये। जैसे-तैसे कर कुछ दिन तो उन्होंने काट लिये, लेकिन अब उनके पास नकदी खत्म हो गई और उनके समक्ष दो जून की रोटी के भी लाले पड़ने शुरू हो गये।